For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धरती का संताप
1
विलाप करती वसुमती – ‘ कह रही ‘
हे सागर ! उदधि महान !
उगता जब मेरे आँचल में
आकाश मण्डल दिशा
सूर्य चंद्र और नक्षत्र घटा
प्रताड़ित क्यों हूँ इतनी
बता ! कौन हैं मेरे अपने !
मर रहे नित्य वीर मेरे
शोक संतप्त हृदय हैं हो रहे
सूरज संग बैरी बना चंद्र
स्नेह देना था , दिया संताप -
वस्त्रहीन हो रही हूँ दिन प्रतिदिन.
2
हे प्रभु !
व्याकुल है प्राण मेरे
त्राहिमाम् ! त्राहिमाम् !
आठ वसुओं की प्यारी
पर – मच रही कैसी तबाही ?
दग्ध हृदय द्रवित मन
कैसे शांति पाऊँ भगवन् !
कहीं जंग कहीं दंग
वन उपवन है जल रहा,
वृष्टिहीन धरती, तप रही कहीं
कहीं सब जलमग्न हो रहा -
पड़ रहा अकाल , त्रस्त है प्रजा
रक्षक ही आज भक्षक है बना
प्रकृति भी नहीं कर सकती रक्षा
आयु अशेष देकर मत खींचो प्राण !
हे भगवन ! त्राहिमाम् ! ! त्राहिमाम् ! ! !
----कुंती
( पृथ्वी दिवस के अवसर पर – मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 9:08pm

आदरणीया कुंती जी/ सुन्दर प्रस्तुति। बधाई स्वीकार करें।

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 7:00pm

अर्थ दिवस पर धरती की वेदना से अवगत कराती सुन्दर रचना पर सादर  बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीया कुंती जी.

Comment by भावना तिवारी on April 23, 2013 at 6:35pm

आठ वसुओं की प्यारी
पर – मच रही कैसी तबाही ?
दग्ध हृदय द्रवित मन
कैसे शांति पाऊँ भगवन् !
कहीं जंग कहीं दंग 
वन उपवन है जल रहा,............AADARNIYAA  coontee mukerji JI ..SHRESHTH BHAAVON KO SAMAAHIT KIYE HUYE ..AAPKI LEKHNI KO NAMAN .....HARDIK BADHAI .........!!

Comment by vijay nikore on April 23, 2013 at 4:41pm

आदरणीया कुंती जी:

 

//स्नेह देना था , दिया संताप -
वस्त्रहीन हो रही हूँ दिन प्रतिदिन. //

 

सदैव समान आपसे एक और सुन्दर रचना मिली।

बधाई।

 

सादर,

विजय

Comment by Shyam Narain Verma on April 23, 2013 at 1:20pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए .................
Comment by Savitri Rathore on April 23, 2013 at 12:36pm

प्रिय कुंती जी, पृथ्वी दिवस पर एक प्रासंगिक एवं सुन्दर रचना .............धरती की पीड़ा को मुखरित करती .............हमारे अंतस को झकझोरती और हमें धरती को बचाने का सन्देश देती हुई रचना ............बधाई हो।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 23, 2013 at 12:33pm

धरा की अंतर व्यथा, दुर्दशा पर निकली चीत्कारों को सुन्दर शब्दावरण मिले हैं .....

आयु अशेष देकर मत खींचो प्राण !
हे भगवन ! त्राहिमाम् ! ! त्राहिमाम् ! ! !

मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति के लिए बधाई आ० कुंती जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 9:59am

आ0 कुन्ती जी,  सादर प्रणाम!  सुन्दर प्रस्तुति।  सादर बधाई स्वीकार करें।

Comment by coontee mukerji on April 22, 2013 at 9:20pm

मनोज  जी एवम वंदना जी , रचना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये  बहुत बहुत धन्यवाद .सादर  कुंती .

Comment by manoj shukla on April 22, 2013 at 7:59pm
धरा दिवस पर बहुत सुन्दर रचना...आदर्णीया हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service