For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चक्र घंटा शूल मूसल, धर धनुष अरु बान,

शंख साजे हाथ गौरी, शीत चन्द्र समान |

 

शुंभ दलना मात शारद, सृष्टि जननी जान,

है नमन माता चरण में, मात दें वरदान ||

 

कर कमल अरु अक्षमाला, विश्व ध्यावे मात,   

विष्णु पत्नी, मात कमला, गुण फिरूँ मैं गात |   

 

हरिप्रिये माता दयानिधि, मैं मनुज की जात,

है नमन माँ श्री चरण रज, ध्यात हूँ दिन रात ||

 

मौलिक/अप्रकाशित.

(संशोधित)

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 26, 2013 at 11:59pm

प्रिय अशोक भाई माँ शारदा की स्तुति पर लिखा छंद ...बहुत ही सुन्दर ..गेय लगा ...मै  भी प्रार्थना करने लगा 

हरिप्रिये माता दयानिधि, मैं मनुज की जात,

है नमन माँ श्री चरण रज, ध्यात हूँ दिन रात ||

...

भ्रमर ५ 

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 16, 2013 at 10:45am

बहुत सुन्दर

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 14, 2013 at 1:03pm

आदरेया डॉ. प्राची जी, आदरणीय अरुण निगम साहब माँ शारदा की स्तुति पर लिखा छंद भला लगा जानकर लेखन कर्म सफल हुआ  आपका हार्दिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on April 14, 2013 at 9:38am

माँ को समर्पित भावमयी रूपमाला के लिए बधाइयाँ आदरणीय अशोक जी....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 13, 2013 at 10:33pm

आदरणीय अशोक रक्ताले जी 

माँ शारदे की स्तुति को रूपमाला छंद में प्रस्तुत करने पर बहुत बहुत बधाई..

बहुत सुन्दर माधुर्यपूर्ण रचना लिखी है आदरणीय.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 12, 2013 at 11:01pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आदरणीय संदीप जी अल्प विराम को नियत विराम देकर  मैंने इस माता की स्तुति को छंद रूप में संशोधित कर दिया है. जय माता दी !

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 12, 2013 at 10:56pm

आदरणीय लड़ीवाला साहब, आदरणीय केवल प्रसाद जी,आदरणीय बृजेश नीरज जी देवियों की स्तुति को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 12, 2013 at 2:14pm

आदरणीय एडमिन जी सादर, उक्त प्रस्तुत माता की स्तुति को छंद बद्द कर पुनः प्रस्तुत कर रहा हूँ कृपया इसे मूल रचना से बदलने का कष्ट करें. आभार.

 

चक्र घंटा शूल मूसल, धर धनुष अरु बान,

शंख साजे हाथ गौरी, शीत चन्द्र समान |

 

शुंभ दलना मात शारद, सृष्टि जननी जान,

है नमन माता चरण में, मात दें वरदान ||

 

कर कमल अरु अक्षमाला, विश्व ध्यावे मात,   

विष्णु पत्नी, मात कमला, गुण फिरूँ मैं गात |   

 

हरिप्रिये माता दयानिधि, मैं मनुज की जात,

है नमन माँ श्री चरण रज, ध्यात हूँ दिन रात ||

 

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:30pm

आदरणीय अशोक सरजी सादर प्रणाम
क्या स्वरूप प्रस्तुत किया है मातरानी का आपने साधुवाद
भाई विंध्यशवरी जी की बात से सहमत हूँ ये द्विपादियाँ हैं या कोई विशिष्ट छन्द
सादर

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2013 at 1:12pm
आदरणीय राक्ताले सर जी! नवरात्र के शुभ अवसर पर भाव से युक्त रचना के लिये आपको बधाई, माता सरस्वती हम सब पर कृपा करें। लेकिन आदरणीय इसका विधान समझ में नहीं आया?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service