For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नारी क्यों रोती है

सुंदर छवि पा,

नयन भर आंसू , नारी क्यों रोती है ?

 

मधुपों की प्रियतमा,

जग में जो अनुपमा,

शशि की किरणों की बाँहें थाम

कमलिनी निशा में खिलती है –

सुंदर छवि पा,

नयन भर आंसू , नारी क्यों रोती है ?

 

सागर की उत्ताल तरंगें,

चट्टानों से टकराती लहरें,

होती हैं क्यों छिन्न-भिन्न !

क्या है यह नज़रों का भ्रम

क्षितिज की मृगतृष्णा लिये,

धरा गगन को छूती है –

सुंदर छवि पा,

नयन भर आंसू , नारी क्यों रोती है ?

 

क्यों इच्छाओं का अंत नहीं ?

क्यों तृष्णा यह बढ़ती है ?

क्यों दूर सितारा जगता है,

जब सारी धरती सोती है –

सुंदर छवि पा,

नयन भर आंसू , नारी क्यों रोती है ?

 

( अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर – मौलिक एवम अप्रकाशित रचना )

 

 

 

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on March 18, 2013 at 12:58pm

स्वभाव से सदय और द्याद्र है नारी , भाव प्रधान जीवन इनका अंग है , मौन इनकी अभिव्यक्ति है और अतिरेक में अश्रु  ही शब्द बनते हैं और इसलिए शायद रोती है -नारी . प्रश्न करती हुई बढती यह कविता अनेक प्रश्नों का स्वेम में उत्तर है . सुंदर कविता प्रस्तुति , कुन्तिजी !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 10, 2013 at 7:40pm

मेरे विचार से नारी के रोने का कारण हम पुरुष वर्ग हैं, जिसने आज तक नारी को उसके समानता का अधिकार नहीं दिया!

पुरुष की ही इच्छा तृष्णा आदि का अंत नहीं है इसीलिये तो आपने भी लिखा है-

क्यों इच्छाओं का अंत नहीं ?

क्यों तृष्णा यह बढ़ती है ?

क्यों दूर सितारा जगता है,

जब सारी धरती सोती है –

सुंदर छवि पा,

नयन भर आंसू , नारी क्यों रोती है ?

aadarneeya kuntee jee aapkee peeda wajib hai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2013 at 2:17am

आदरणीया कुन्ती जी, आपकी रचना के मूल प्रश्न का उत्तर यह रचना स्वयं देती है.

क्यों इच्छाओं का अंत नहीं ?

क्यों तृष्णा यह बढ़ती है ?

क्यों दूर सितारा जगता है,

जब सारी धरती सोती है –

आपके कवि की संवेदना सत्यानुगामिनी है. तभी उसका स्वर स्पष्ट है. सगढ़ सोच से संवर्धित इस रचना के लिए अतिशय बधाइयाँ.

शुभेच्छाएँ.. .

Comment by mrs manjari pandey on March 8, 2013 at 10:27pm

आदरणीया कुंती मुखर्जी जी बधाई प्रश्नों की झड़ी लगाकर बात स्वीकार करवाने की . आज की स्थिति के लिए कोई और नहीं हम नारियां ही ज़िम्मेदार हैं

Comment by Vinita Shukla on March 8, 2013 at 9:09pm

मार्मिक और प्रभावी रचना. बधाई.

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on March 8, 2013 at 6:57pm

सुन्दर रचना ... 

Comment by ram shiromani pathak on March 8, 2013 at 4:01pm

आदरणीया, आपकी रचना मन को छू गई।

बधाई। आशा है आपकी ऐसी ही और कविताएँ

पढ़ने को मिलेंगी।

सादर,

Comment by राजेश 'मृदु' on March 8, 2013 at 12:57pm

अंगारों को

रख आंचल में

पल-पल आशा

बोती है

नयन कहां

इनके रोते हैं

ये धरती को

धोती है

ये है स्‍वाहा

यही स्‍वधा है

और त्रयी की

ज्‍योति है

सुंदर रचना हेतु बधाई

Comment by vijay nikore on March 8, 2013 at 12:22pm

आदरणीया, आपकी रचना मन को छू गई।

बधाई। आशा है आपकी ऐसी ही और कविताएँ

पढ़ने को मिलेंगी।

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service