For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"समीकरण"

कागज़ पर
दिल के समीकरणों से उलझा
सिद्ध क्या करना है ???
मुहब्बत
नफरत
आज़ादी
या बंदिशें
क्या हल होगा ??
कर्म करो फल बाद में देखेंगे
किन्तु आगाज कहाँ से करूँ
दिल से
या दिमाग से ???
लीजिये बन गया न
समीकरण
एक वाक्य
हमारे बड़े बड़े शाश्त्र कहते हैं
प्रेम अनंत है
अर्थात
प्रेम बराबर अनंत
अनंत अर्थात
अर्थात
हाँ गगन
तो प्रेम बराबर गगन
अर्थात प्रेम
गगन के समतुल्य है
और प्रेमी
के अन्दर गगन आसमान समाहित है
और आसमान
पर्याय रहा है
झूठे दंभ का
अर्थात
प्रेम बराबर झूठ और दंभ
झूठ अर्थात
अत्यधिक मीठा
क्यूंकि सच तो कड़वा होता है न
मतलब
प्रेम अत्यधिक मीठा भी है
किन्तु कुछ विशेषज्ञों ने कहा है
अत्यधिक मीठे में ही
कीड़े लगने की संभावना होती है
कीड़े लगना
उसके खराब होने को दर्शाते हैं
और कोई चीज़ यदि खराब हो जाए
तो प्रकृति में विलीन हो जाती है
और प्रकृति अर्थात
पञ्च तत्व
जिसमे स्वयं गगन में भी सम्मलित है
और गगन अनंत है
तो इस प्रकार सिद्ध होता है
के
प्रेम अनंत है
और बाकी बचा दंभ
जो स्वयं अनंत है
अर्थात प्रेम अनंत है
इसमें तनिक भी संदेह नहीं है


संदीप पटेल "दीप"

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 2, 2013 at 4:52pm

आदरणीय अशोक सर जी , आदरणीय मनोज सर जी , आदरणीया महिमा जी , आदरणीया डॉ प्राची जी ,,,,,आप सभी ने समीकरण में इसके सिद्ध होने की मोहर लगा दी अर्थात ये समीकरण सर्व सिद्ध हो गया ,,,,,,अपना ये स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का

Comment by Manoj Nautiyal on February 2, 2013 at 8:20am

बहुत सुन्दर संदीप जी ........... सुन्दर समीकरण की रचना के लिए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 1, 2013 at 12:10pm

हाहाहा प्रेम के समीकरणों की ऐसी एनालिसिस कभी नहीं देखी.. कभी नहीं सुनी. आ.संदीप जी 

सादर बधाई इन उलझाते समीकरणों के लिए.

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 1, 2013 at 8:19am

आदरणीय संदीप जी सादर, आप कितना भी घुमाओ प्रेम तो किसी के लिए अनंत रहेगा और किसी के लिए अंत.सुंदर रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by MAHIMA SHREE on January 31, 2013 at 8:05pm

क्या घुमाया आपने .. :) चक्कर  आ गए ... बधाई आपको .. इस नए समीकरण की :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service