For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जानती हूँ
या कहो
बखूबी समझती हूँ
तुम्हारे चुपचाप रहने का सबब
हमारे बीच समझ का
जो अनकहा पुल है
कभी सच्चा लगता है और
कभी दिवास्वप्न सा
दुविधा की कई बातें हैं
जज्बातों की कई सौगाते भी हैं
जो अकेले बैठ के
अपने मन मंदिर में
कोमल अहसासों से पिरोयें हैं
साझा करने को कभी
पुल के इस पार तो आओ
दो बातें तो कर जाओ
जानती हूँ तुम्हें
या नहीं जानती की
उलझन तो सुलझा जाओ

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by LOON KARAN CHHAJER on December 7, 2012 at 3:01pm

.उलझन ! 
बहुत सुन्दर रचना .
आज हर व्यक्ति  उलझन में है,
उलझन तो सुलझा जाओ !
बहुत खूब महिमा जी .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 7, 2012 at 9:57am

आत्मीय संबंधों में संवाद की जरूरत ही नहीं होती...एक सुकून भरी खामोशी, अनकहा वायदा,  एकत्व का एहसास....

पर भौतिकता की तरफ दृष्टि होते ही, एक दुविधा, की यह एहसास सत्य है या भ्रम...

और इस उलझन को सुलझाने के लिए शब्दिकता की आवश्यकता..

इन सुन्दर भावों को अभिव्यक्ति में बहुत खूबसूरती से पिरोया है प्रिय महिमा जी,

हार्दिक बधाई..

मंच पर आपकी जुगनू सी चमक के दीप बनने की मंगल कामनाएं. सस्नेह.

Comment by vijay nikore on December 6, 2012 at 8:35pm

आदरणीया महिमा जी,

मार्मिक भावों से भरपूर आपकी कविता मन को छू गई।

विजय निकोर

Comment by राजेश 'मृदु' on December 6, 2012 at 5:29pm

करीने से लिखी गई रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 2:34pm

नमस्कार अनंत जी ..

आपका स्वागत है / आपका ह्रदय से आभारी हूँ / सहयोग बनाएं रखे

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 2:31pm

आदरणीय लक्ष्मण  सर ,सादर नमस्कार ..

रचना को सराहने के लिए आपका ह्रदय से आभारी हूँ / स्नेह बनाएं रखे

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 2:28pm

आदरणीय सौरभ सर . सादर नमस्कार ..

ये मेरा सौभाग्य है ..जो आप गुरुजनों का स्नेह और आशीर्वाद हमेशा मिलता रहता है /

आपके वाह!! ने तो इस रचना को  जो मान दिया है उसकी ख़ुशी मैं बयाँ नही कर सकती / आगे भी प्रोत्साहन मिलता रहेगा यही आशा है/ आपका हार्दिक आभार / सधन्यवाद

 

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 2:20pm

आदरणीय नादिर जी , नमस्कार

रचना आपको पसंद आई .. ह्रदय से आभारी हूँ / सहयोग बनाएं  रखे /

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 11:50am

बेहद सुन्दरता से शब्दों में पिरोई खूबसूरत प्रस्तुति बधाई स्वीकारें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 6, 2012 at 10:40am

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति की लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे महिमा श्रीजी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service