For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सद्गुरु त्रिगुणातीत (दोहावली )


सत् रज तम गुण से परे, सद्गुरु त्रिगुणातीत l
तुर्यावस्था लीन जो, लीला उनकी रीत ll1ll
**************************************************
गुरुवर दो ऐसी कृपा, पा जाएँ निज ज्ञान l
प्रेम समंदर उर बहे, तनिक न हो अभिमान ll2ll
**************************************************
माटी कर दीजे मुझे, चरण धूल बन जाउंl
अहंकार का ताज तज, प्रेम राह अपनाउं ll3ll
*************************************************
मूरख खोजे मंदिरों, नयन दरस कर पाय l
जो मन दर में झाँक ले, प्रभु तद्क्षण मिल जाय ll4ll
*************************************************
शुद्ध मनस, निर्मल वचन, स्वार्थ रहित हों भाव l
पार स्वतः हो जाय तब, भव सागर से नाव ll5ll
*************************************************
गुरुवर ऐसा ज्ञान दो, भाव करे जो शुद्ध l
दशम द्वार की राह के, खुलें मार्ग अवरुद्ध ll6ll
*************************************************

Views: 818

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2012 at 11:01am

//परन्तु हमें किसी को मूरख कहने का हक भी नहीं है क्योंकि ऐसा तो सिर्फ कबीर' जैसे पहुँचे हुए विद्वान ही कह सकते हैं//

शब्दों के प्रयोग अनुभवजन्य जागरुकता तथा वैचारिक व्यापकता की तार्किकता पर निर्भर होते हैं. प्रत्येक शब्द के अपने विशेष अर्थ और उसकी अपनी तीव्रता होती हैं. यही कारण है कि संस्कृत में एकदम पर्याय शब्द नहीं होते. सबकी अपनी-अपनी भाव-दशा होती है. हिन्दी चूँकि संस्कृत का सरल (अवहट्ट से होती हुई) स्वरूप है, अतः यह गुण यहाँ भी विद्यमान है.

मूरख  मूढ़ का देसज स्वरूप है. मूढ़ नासमझ को तो कहते ही हैं, उसे भी कहते हैं जो जानते-बूझते उस पर अमल नहीं करता या कर पाता. संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें किसी प्राणी के प्रति कर्कश अथवा अपमानजनक शब्द नहीं हैं. इसके बावज़ूद मूढ़ उन कुछ शब्दों में से है जो नासमझी करने वालों के लिये प्रयुक्त होता है. यह इस शब्द को अपमानजनक न मान कर हम इसे मूलतः गुण-विशेष का द्योतक मानें.

विश्वास है, आप मेरे कहे से संतु्ष्ट हो पायेंगे.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on September 12, 2012 at 10:45am

आदरणीया प्राची जी,

भक्ति की पराकाष्ठा संप्रेषित करती आपकी यह दोहावली अत्यंत ही मनभावन है! सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 10:15am

आदरणीय अम्बरीश जी,

आपका कहना बिलकुल उचित है, पर यहाँ मूरख का अर्थ ignorant से है, 
यदि कोई विनम्र  शब्द सुझाएँ तो आभार होगा.... सादर.
Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 10:09am

धन्यवाद  डॉ० प्राची जी, आपने सही कहा है परन्तु हमें किसी को मूरख कहने का हक भी नहीं है क्योंकि ऐसा तो सिर्फ कबीर' जैसे पहुँचे हुए विद्वान ही कह सकते हैं ....सस्नेह

Comment by seema agrawal on September 12, 2012 at 10:05am

मूरख खोजे मंदिरों, नयन दरस कर पाय l

जो मन दर में झाँक ले, प्रभु तद्क्षण मिल जाय 
शुद्ध मनस, निर्मल वचन, स्वार्थ रहित हों भाव l
पार स्वतः हो जाय तब, भव सागर से नाव .......वाह बहुत सुन्दर  और पवित्र भाव युक्त दोहे  प्राची जी  बहुत बहुत बधाई 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 10:00am

आदरणीय अम्बरीश जी, इस दोहवाली को आपने सराहा, यह बहुत उत्साहवर्धक है.

मंदिर जाने वालों और ईश्वर को खोजने वालों में फर्क है आदरणीय अम्बरीश जी.....मैंने बस यही इंगित करने का प्रयास किया है.
निस्संदेह बुद्धिमान भी जरूर मंदिर जाते हैं.
सादर
Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 9:50am

डॉ० प्राची जी, गुरु चरणों में समर्पित सुन्दर व भावपूर्ण उत्कृष्ट दोहावली पढकर मन प्रसन्न हो गया ....इस हेतु हमारी ओर से बहुत- बहुत हार्दिक बधाई स्वीकारें ....

//मूरख खोजे मंदिरों, नयन दरस कर पाय l
जो मन दर में झाँक ले, प्रभु तद्क्षण मिल जाय ll4ll//
इसे निम्न प्रकार से कहना उचित होगा ...क्योंकि मंदिर जाने वाले भी बुद्धिमान ही होते हैं  |
मंदिर में तो मूर्ति ही, नयन दरस कर पाय l
मन मंदिर में झाँक ले, प्रभु तद्क्षण मिल जाय ll सस्नेह 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 9:38am

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपको दोहावली निहित गुरु भक्ति भाव पसंद आया इस हेतु आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 11, 2012 at 9:17pm

वाह प्रिय प्राची जी बेहतरीन भक्तिभाव मय उत्कृष्ट दोहे मजा आ गया पढ़ कर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2012 at 9:17pm

दोहों की सराहना व टंकण त्रुटि इंगित करने हेतु आभार आ. अशोक कुमार रक्ताले जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service