For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत (टूटा सा ख्वाव हूँ)

टूटा सा ख्वाव हूँ (गीत)

पूछो न कोई मुझसे क्यों पीता शराब हूँ-2
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-2
--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------

(1) 'दीपक' था नाम जलना था,जलते रहे ऐ-दिल-2
बुझने से पहले बेवफा इक बार आके मिल-2
देती है ताहने दुनियाँ क्या सचमुच ख़राब हूँ
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२
--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------

(2) दो घूँट पी लिए अगर यहाँ किसका क्या गया -2
अपनें,बेगाने सबके ही दिल से निकल गया -2
ग़म के खज़ाने कम नहीं,नाकामयाब हूँ
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२
--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------

(3 ) मेरी जिंदगी में हादसों का ऐसा हुआ असर-2
कल तक जो मेरे साथ था आया न वोह नज़र -2
मुझको लगा था दोस्तों मैं लाजवाब हूँ
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-2
--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------

दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
01 -09 -12 .
09350078399

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 3, 2012 at 9:48am

धन्यवाद सौरभ पांडे जी,रेखा जी राजेश जी......

मेरे गीतों में दर्द तेरा है
चंद लफ़्ज़ों में अक्स तेरा है
तुझे भूल भी कैसे जाऊँ मैं
मीत न सही तू अधूरा गीत तो मेरा है .....?
मय के प्याले तो इक बहाना है
पी के कौन सा भूल जाना है ....?

दीपक कुल्लुवी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2012 at 7:09pm

दीपक कुल्लुवी जी बहुत अच्छा गीत दिल को छू गया 

Comment by Rekha Joshi on September 2, 2012 at 6:50pm

दो घूँट पी लिए अगर यहाँ किसका क्या गया 
अपनें,बेगाने सबके ही दिल से निकल गया 
ग़म के खज़ाने कम नहीं,नाकामयाब हूँ 
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ
--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी-,अति सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय दीपक जी ,बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 10:53pm

बेहतर प्रयास किया है आपने दीपक जी.

बधाई.. .

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 4:14pm

शुक्रिया बागी जी

यह आज ही लिखा कम्पोज़ भी कर लिया शाम को हरमोनियम पर निकालूँगा फिर कभी आपको सुनाऊंगा  ज़रूर I


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2012 at 2:45pm

मुझको लगा था दोस्तों मैं लाजवाब हूँ
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-2

वाह वाह कुलवी साहब, बहुत ही सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें |

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 12:29pm

मेरा दर्द भी सुन्दर लगता है मेरा ग़म भी सुंदर लगता है
हाल मेरा बेहाल है दोस्त तुम्हे यह भी सुन्दर लगता है

खैर.....शुक्रिया भाई फूल सिंह

Comment by PHOOL SINGH on September 1, 2012 at 12:21pm

शर्मा जी प्रणाम,

सर बहुत ही सुंदर गीत के लिए बधाई ...

फूल सिंह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
35 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service