For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आईने से निगाहें हटा लीजिये

आईने से निगाहें हटा लीजिये
या निगाहों में हम को पनाह दीजिये

आपको दिल ने समझा है अपना नबी
थोडा अपने भी दिल को मना लीजिये

आप ही आप हैं हर निगाह हर तरफ
आये ना गर यकीं आजमा लीजिये

चश्म बेचैन है रौशनी के लिए
ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये

हम ही हम हैं दीवाने हमीं बेफहम
आप भी होश थोडा गवां दीजिये

बोलो कब रहे तिश्नगी में नज़र
इश्क का जाम अब तो लुटा दीजिये

-पुष्यमित्र उपाध्याय

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pushyamitra Upadhyay on August 25, 2012 at 9:24pm

rekha didi,

albela sir,

sandeep bhai,

saurabh sir,

sandeep sir,

sube singh sir,
aur seema didi......aap sabhi ko kotisah naman evam sadar dhanyavaad protsahan hetu.....aashish bnaaye rakhiye

Comment by Pushyamitra Upadhyay on August 25, 2012 at 9:19pm

@sandeep ji निहां का अर्थ छुपा हुआ" या "गुप्त" .....ab shayad aasani ho aapko.. :)

Comment by Rekha Joshi on August 24, 2012 at 8:35pm

चश्म बेचैन है रौशनी के लिए 
ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये,खूबसूरत गजल ,हार्दिक बधाई पुष्यमित्र जी 

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 2:56pm

क्या कहने पुष्यमित्र उपाध्याय जी
बहुत खूब........

आप ही आप हैं हर निगाह हर तरफ
आये ना गर यकीं आजमा लीजिये

___हाय हाय हाय ................मज़ा आ गया

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 24, 2012 at 2:14pm

khoobsoorat ghazal ke liye dili daad kubool kijiye saahab

thoda bahr aur wajn kahi'n kahi'n toot rahe hain

ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये

is pankti kaa arth samajh nahi paaya hun main

kshamaa sahit


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 24, 2012 at 6:08am

ग़ज़ल पर हुआ आपका प्रयास सार्थक लगा, पुष्यमित्र जी . बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on August 24, 2012 at 4:17am

हम हि हम हैं दिवाने हमीं बेफ़हम,
आप भी होश थोड़ा गवां दीजिये;

ये शानदार शे'र दिल जीत ले गया उपाध्याय जी! क्या बात है?!?! आफ़रीन!! हासिले ग़ज़ल शे'र...!!

सादर,

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 10:20pm

वाह क्या बात की है निगाहों की......

बधाई

Comment by seema agrawal on August 23, 2012 at 9:56pm

वाह बहुत बढ़िया गज़ल पुष्य मित्र जी 

हम ही हम हैं दीवाने हमीं बेफहम
आप भी होश थोडा गवां दीजिये.......बहुत खूब 

आपको दिल ने समझा है अपना नबी
थोडा अपने भी दिल को मना लीजिये.......बहुत सुन्दर अंदाजे-बयां 

आखरी शेर पर एक बार फिर नज़र डाल लीजिए शायद कोई शब्द टाइप होने से रह गया है 

बोलो कब रहे तिश्नगी में नज़र /बोलो कब तक रहे ...............
इश्क का जाम अब तो लुटा दीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service