For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बच्चे ने पूछा - दादी, आप भगवन को प्यारी कब होंगी ? बूढी दादी बोली-बेटा,भगवान् की पूजा करना ही अपने हाथ में है,बाकी सब भगवान पर है | बच्चे ने फिर पूछा- दादी आप "टै" कब बोंलेगी ? दादी कुछ देर विस्मय से बच्चे को गुहारती रही,फिर सोच कर बोंली- सौरभ बेटे "टै" बोलने से क्या होता है ? चल तू कहता है तो अभी ही बोल लेती हूँ -टै | इस पर सौरभ बोंला - दादी. रात को माँ पापा से कह रहा था कि आप नयी कार कब खरीदोंगे | मम्मी-पापा बात कररहे थे कि दादी के पास बहुत सारा धन है | पर जब वह "टै" बोल जायेगी तब ही अपने को उसका धन मिल सकेगा |और तब ही नयी कार खरीद कर लायेंगे | तब तक तो हमें कार लाने के लिए इन्तजार ही करना पडेगा |

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2012 at 4:41pm
वाह वाह श्री संजय मिश्र हबीब साहेब आपने तो एक और इस  विषय पर 
जाने माने कवी अशोक चक्रधर की काव्यमय रचना पढने को उपलब्ध करदी 
-हार्दिक धन्यवाद 
Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 5, 2012 at 3:43pm

सुन्दर कथा... यह भी एक अजब संयोग है....

टें बोल दो न!

बच्चे ने रट लगा दी,

बार बार कहे-

दादी!

टें बोलकर दिखाओ!

दादी भी अड़ गयी-

क्यों बोलूं पहले ये बताओ?

आखिरकार बच्चे ने राज खोला

मासूमियत से बोला-

कल रात जब

मैं झूटमूट सो रहा था,

तब पापा ने

मम्मी से कहा था-

कि अम्मा जब

टें बोलेंगी तो

खूब सारे रुपये मिलेंगे,

फिर हम

ये घर बेच के

दूसरा घर ले लेंगे.

किसी तरह

दादी ने रोक लिया रोना,

बच्चा जिद करता रहा-

अब तो टें बोल दो ना...!!!  (अशोक चक्रधर)

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2012 at 3:34pm

श्री अरुण शर्मा 'अनंत' और अशोक कुमार राकताले जी 

आप जैसे साहित्य प्रेमी को रचना सुन्दर लगी,मेरा उत्साहवर्धन 
हुआ, हार्दिक धन्यवाद |
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2012 at 3:16pm

बेहद सुन्दर रचना सर बहुत-२ बधाई

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 4, 2012 at 11:55pm

आदरणीय

            सादर नमस्कार, समझ नहीं आता आजकल लोगों को बुजुर्गों के टें बोलने का इंतजार क्यूँ  रहता है पैसा हो तब भी ना हो तब भी. सुन्दर लघु कथा.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 4, 2012 at 9:41pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय रेखा जोशीजी  -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 4, 2012 at 6:01pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी और योग राज प्रभाकर जी, आप दोनों की सुझावात्मक टिप्पणी अच्छी लगी | कहानी में बच्चे सौरभ के माता-पिता पर निश्चित रूप से कही अडौस-पडौस का अथवा संगत का असर ही होगा, जो कहानी में परिलक्षित नहीं होता, आपका यही आशय है अथवा कुछ और, कृपया मार्ग दर्शन करे | लघु कथा पढ़कर सुझाव देने और होंसला बढ़ने के लिए हार्दिक आभार |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 4, 2012 at 4:57pm

विषय वस्तु संतोषजनक है  किन्तु कथ्य और शिल्प दोनों ही स्तरों पर अभी भी बहुत कसावट की गुंजायश है, इस सन्दर्भ में  आदरणीय सौरभ पांडे जी के इशारों को समझे. बहरहाल लघुकथा रोचक है और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है जिसके लिए हार्दिक साधुवाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2012 at 1:54pm

ऐसे विचार दादी ने पापा को या नानी ने माँ को तो नहीं ही दिये होंगे. फिर यह कैसे संसृत हुआ ? विचारणीय है.

इस लघुकथा के लिये सादर बधाई, आदरणीय लक्ष्मणजी. रचनाओं की कसावट के प्रति सतत संवेदनशील रहना होगा.

Comment by Rekha Joshi on August 4, 2012 at 1:45pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ,सादर नमस्ते ,इस रंग बदलती दुनिया में अपनों की ही नीयत ठीक नही ,बहुत बढ़िया लघु कथा ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service