For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समस्त ओबीओ परिवार की ओर से आप सभी को श्रावणी पर्व (रक्षा बंधन) की हार्दिक बधाई !

 

कह-मुकरी

मन-मोहक मृदु रूप में आये.

सजे कलाई अति मन भाये.

नेह-प्रीति की वह है साखी.

क्या सखि कंगन? नहिं सखि राखी!!

 

रूपमाला/मदन छंद

आज वसुधा है खिली ऋतु, पावसी शृंगार. 

थाल बहना बन सजाये, श्रावणी त्यौहार.

बादलों से वृष्टि रस की, नेह की जलधार.  

इन्द्रधनुषी राखियों से, बँध गया संसार..

 

कुंडलिया

भैया-बहना की हँसी, राखी का त्यौहार.

पावन धागे नेह के, आपस में हो प्यार.

आपस में हो प्यार, दूर हों पथ के काँटे.

प्यार बने आधार, सभी में खुशियाँ बाँटे.

‘अम्बरीष’ है नित्य, सभी से मिलकर रहना.

खिला-खिला संसार, खिले हैं भैया-बहना.. 

 

समस्त ओबीओ परिवार की ओर से आप सभी को श्रावणी पर्व (रक्षा बंधन) की हार्दिक बधाई ! सादर

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 1134

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 2, 2012 at 6:38pm

छंद त्रिवेणी बह रही, मोहक बड़ी अनूप

भाइ भगिन का नेह का, कैसा पावन रूप. 

सुन्दर छंद पढ़कर आनंद आ गया आदरणीय अम्बरीश भईया... आपको और आदरणीय मंच को रक्षाबंधन की अशेष शुभकामनाएं....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 2, 2012 at 6:20pm

तीनो ही  रचनाएं लाजबाब हैं अम्बरीश जी आपको भी इस पर्व की बधाई और शुभकामनायें 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 2, 2012 at 5:34pm

आदरणीय अम्बरीश जी, सादर 

आप द्वारा संप्रेषित भावों में मुझे भी सम्मलित मानिए. सभी को हार्दिक बधाई. 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 2, 2012 at 5:25pm

मन-मोहक मृदु रूप में आये.

सजे कलाई अति मन भाये.

नेह-प्रीति की वह है साखी.

क्या सखि कंगन? नहिं सखि राखी!!

आदरणीय अम्बरीश जी बहुत सुन्दर ...मनभावन छंद बद्ध रचना ...बहना का स्नेह छलक पड़ा भैया पर .....    रक्षा बंधन पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं .....इन छवियों  ने बहुत सुन्दर सन्देश दिया काश ऐसा ही हो जाए तो आनंद और आये 

जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 3:37pm

आदरेया डॉ० प्राची जी, इन्हें पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार .....सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 3:11pm

आदरेया डॉ० प्राची जी, इन्हें सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार .....सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 3:10pm

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी, आपके हृदय की अनुभूति का अनुभव करने मात्र से ही इन छंदों का सृजन सार्थक हो गया है ....बहुत बहुत आभार आदरणीय ! सादर ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 2, 2012 at 3:05pm

आदरणीय अम्बरीश जी,
रक्षाबंधन के पर्व पर इन सुमधुर रचनाओं के लिए हार्दिक साधुवाद.
सादर.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 3:02pm

आदरणीय बागी जी, इसे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार सहित श्रावणी पर्व (रक्षा बंधन) की हार्दिक बधाई ! ......सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2012 at 3:01pm

मन-मोहक मृदु रूप में आये.
सजे कलाई अति मन भाये.
नेह-प्रीति की वह है साखी.
क्या सखि कंगन? नहिं सखि राखी!!

अति सुन्दर ! वाह !

आदरणीय अम्बरीषभाईजी, रक्षापर्व के पावन अवसर पर आपकी छंद-रचनाएँ मुग्ध कर गयीं. वाह वाह वाह !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service