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"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "

"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "

लब खामोश हैं

कुछ कम्पन है
कहना चाह रहे हैं
पर खामोश हैं
फिर भी कोई तो है
जो कर रहा है बात
चुप चुप
लेकिन शोर है
हाँ शोर है आँखों में
वो कर रहीं हैं बातें
एक एक वो बात
जिसे नहीं किया जा सकता है
नज़रअंदाज
उनमे है गंगा की सी सच्चाई
सागर की सी गहराई
ये आँखें
हाँ जिनमे प्रतिकार की ज्वाला है
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जिनसे झड रहे हैं श्रद्धा के सुमन
जिनमे क्षोभ है  कुछ खो देने का
उत्साह है कुछ पा लेने का
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जिनसे छलक रहा है
स्नेह का अमृत
जो न जाने कितने वर्षों से सूखे
नीरस हो चुके दरख्त को
पुनर्जीवित कर दे
बंजर में शादाब कर दे चमन
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
पैदा कर दें ग्लानी
दे जाएँ हीनता का विष
हकारत भरी जहर उगलती ये आँखें
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
कभी संकुचित हो उठती हैं
कभी इतनी विस्तृत की सागर समेट लें अपने में
हाँ करती हैं विश्मित
स्वयं भी होती हैं  विश्मित
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
नम नम सी हों
गलती का एहसास लिए
तोबा के गंगा जल से भरी भरी डबडबाई
मन का मैल धो कर हो चुकी हों श्वेत
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
क्रोधातुर हो के
हो रहीं हों रक्त के सामान लाल
काल भी इनके सम्मुख घबरा जाए एक पल को
निगल जाए भय को
दे जाए एक खौफ देखने वाले को
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जब कामातुर हो
हो रहीं हो मदहोश
मदमस्त
छलका रहीं हो प्रेम हाला
सामने जो भी आया
डूबा इनमे
लूट लिया है इन आखों से
उस शराबी को
जो हो उठा है मदहोश
उस हाला को पी कर
प्रेम के श्रृंगार के गीत गाते
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जब लुटा रहीं हों
ममता
दया
अपनों के लिए
गैरों के लिए
कर रहीं हो निक्षावर सर्वस्व
और मोह से हों परे
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जब छल रहीं हो
स्वयं को
आईने से प्रतिकार करती
नज़रें चुराती
खुद को छुपाती
एक कसक सी लिए
एक एहसास को मार के
छल रहीं हों स्वयं को
कुछ दुःख भरे वेदना के स्वर लिए
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है


संदीप पटेल "दीप"

Views: 400

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Comment by Rekha Joshi on July 14, 2012 at 7:26pm

सदीप जी ,सादर 

ये आँखें 
जब लुटा रहीं हों 
ममता 
दया 
अपनों के लिए 
गैरों के लिए 
कर रहीं हो निक्षावर सर्वस्व 
और मोह से हों परे 
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है 
,बिलकुल सही ,मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है ,अति सुंदर ,बधाई 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2012 at 6:30pm
मौन की सशक्त अभिव्यक्ति को गहनता के साथ विस्तार से शब्दबद्ध करने के लिए बधाई प्रिय संदीप जी .
Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 12:10pm

मौन का ऐसा बोलता हुआ  चित्र मैंने पहली बार देखा
बधाई हो भाई संदीप दीप जी,
बहुत उम्दा रचना

ये आँखें
जब कामातुर हो
हो रहीं हो मदहोश
मदमस्त
छलका रहीं हो प्रेम हाला
सामने जो भी आया
डूबा इनमे
लूट लिया है इन आखों से
उस शराबी को
जो हो उठा है मदहोश
उस हाला को पी कर
प्रेम के श्रृंगार के गीत गाते
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है

__वाह वाह !

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