For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

सांसे जब तक चलती हैं

तब तक चलता है

सुख- दुःख का एहसास 

मान -अपमान की पीडाएं 

उंच -नीच , जात -पात  का भेद

सम्पन्नता -विपन्नता का आंकलन

नहीं मिलने मिलाने के उलाहने

प्रतियोगिता की अंधी दौड़

एक दुसरे को मिटा डालने का षड़यंत्र

सांसे जब तक टूटती हैं

उस क्षण को

ग्लानी से भरता है मन

और छोड़ देता है तन को

बची रह जाती है

उसकी कुछ यादें

अंततः कुछ भी नहीं बचता शेष

और फिर से शुरू हो जाती हैं

ये सारी प्रवंचनाएं

23july2008

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 4, 2012 at 9:56am

 

बहुत सुन्दर रचना सुश्री महिमा जी..

सांसे जब तक चलती हैं

तब तक चलता है

सुख- दुःख का एहसास 

मान -अपमान की पीडाएं 

उंच -नीच , जात -पात  का भेद

सम्पन्नता -विपन्नता का आंकलन

.....................................................बहुत सुन्दर रचना

अध्यात्मिकता को स्पर्श करने का प्रयत्न करती कृति.

.....................साँसे जब तक चलती हैं ( साँसे जब तक असम्यक चलती हैं) सिर्फ तभी तक रहता है सुख-दुःख का एहसास...

उसके आगे द्वैत भाव समाप्त होने लगता है, और अद्वैत का अनुभव होना शुरू होता है. जहां सिक्के के दो पहलुओं में कोई भेद नहीं, बल्कि एक सुखकारी सामंजस्य होता है...

इस कृति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 4, 2012 at 7:11am

behad khoobsoorati ke saath dil ko shabdon me ukera hai aapne is rachna ke liye saadhuwaad

Comment by arunendra mishra on June 3, 2012 at 11:33pm

सांसे जब तक चलती हैं

तब तक चलता है

सुख- दुःख का एहसास 

मान -अपमान की पीडाएं 

..सुन्दर रचना ..!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 11:20pm

बहुत दार्शनिकता ,सच्चाई से रूबरू कराती रचना ...वाह ..वाह बहुत सुन्दर 

Comment by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 10:55pm

आदरणीय उमाशंकर जी .. आपका हार्दिक धन्यवाद , स्नेह बनाये रखे

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 3, 2012 at 10:48pm

महिमा श्री जी आपने तो कविता  में

दर्शन भर दिया है| इस अध्यात्मिक रचना के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service