For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

सांसे जब तक चलती हैं

तब तक चलता है

सुख- दुःख का एहसास 

मान -अपमान की पीडाएं 

उंच -नीच , जात -पात  का भेद

सम्पन्नता -विपन्नता का आंकलन

नहीं मिलने मिलाने के उलाहने

प्रतियोगिता की अंधी दौड़

एक दुसरे को मिटा डालने का षड़यंत्र

सांसे जब तक टूटती हैं

उस क्षण को

ग्लानी से भरता है मन

और छोड़ देता है तन को

बची रह जाती है

उसकी कुछ यादें

अंततः कुछ भी नहीं बचता शेष

और फिर से शुरू हो जाती हैं

ये सारी प्रवंचनाएं

23july2008

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on August 2, 2013 at 10:57pm

आदरणीय अभिनव जी आपका ह्रदय तल से आभार .. रचना को पसंद करने और प्रोत्साहन देने के लिए सादर

Comment by Abhinav Arun on August 1, 2013 at 6:30pm

जीवन के वास्तविक पहलू को उजागर करती अभिव्यक्ति .. बहुत बधाई  और शुभकामनायें !!

Comment by shalini kaushik on September 14, 2012 at 1:54am

बहुत अच्छा लिखती हैं आप, औलाद की कुर्बानियां न यूँ दी गयी होती .

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 22, 2012 at 12:47am

धन्यवाद और आभार महिमा जी ,

दुआ है की आप का प्रशिक्षण अच्छी तरह से , सफलता से संपन्न हो और आप उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर अग्रसरित हों ...समय मिले  और फिर हम आप की कृतियाँ रोज पढ़ें  
जय श्री राधे 
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर ५"  
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 20, 2012 at 9:16pm
हाँ महिमा जी परम शांति तो अंत में ही दिखती है जब साँसे साथ छोड़ जाती हैं ...बहुत सुन्दर रचना जिन्दगी के उतार चढाव  दर्शाती ...कौन बचा है इन प्रवंचनाओं से ..जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by आशीष यादव on June 5, 2012 at 8:52am

भावनात्मक रचना पर बधाई स्वीकार कीजिए। 

Comment by Albela Khatri on June 4, 2012 at 10:48pm

waah bahut khoob

bahut umda  mahima ji..........badhaai !

Comment by MAHIMA SHREE on June 4, 2012 at 10:10pm

आदरणीया रेखा जी .. आपका हार्दिक धन्यवाद

Comment by MAHIMA SHREE on June 4, 2012 at 10:09pm

चन्दन जी .. आपको रचना अच्छी लगी , शुक्रिया जनाब सहयोग बनाये रखे

Comment by MAHIMA SHREE on June 4, 2012 at 10:07pm

आदरणीय योगराज सर , सादर नमस्कार ,

आपके दो  अनमोल शब्दों ने इस रचना का मान बढ़ा दिया /  हौसला  अफजाई के लिए ह्रदय से आभार , स्नेह बनांये रखे , सधन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
35 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service