For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हैलो हैलो !! हैलो  बेटा बोल !  माँ खुशखबरी है आपको पोता हुआ है, इतना कहकर रोहित ने फ़ोन  रख दिया | रेखा के पाँव तो ख़ुशी के मारे जमीन पर नहीं पड़ रहे थे, उसी समय बहुत सारी मिठाई लाकर पूरी कालोनी में बाँट दी | फिर तैयार होकर हॉस्पिटल पंहुच गई और सारे कर्मचारियों को मिठाई बांटी, आयाओं को सौ- सौ के नोट भी दिए और फिर बहु के पास पोते को देखने पहुंची वहां पर डॉक्टर भी राउंड पर आई हुई थी देखते ही रेखा एक पूरा मिठाई का डिब्बा डॉक्टर की तरफ देते हुए बोली आप भी मेरे पोते के होने की मिठाई खाओ | डॉक्टर सुनकर कुछ हैरानी से बोली लेकिन आपको तो पोती हुई है, इतना सुनते ही राधा के हाथ से मिठाई का डिब्बा नीचे गिर गया और घूरती नजरों से बेटे को देखने लगी | रोहित बोला माफ़ करना माँ मैं चाहता था की जिस तरह आप पोते की ख़ुशी मनाती हैं उसी तरह पोती की भी मनाओ, आपके बेटे के जीवन में कितनी बड़ी ख़ुशी आई है आप मेरी ख़ुशी में शामिल नहीं होंगी | राधा  कुछ देर सोचती रही ,फिर छलछलाती हुई आँखों से  पास में लेटी हुई बहुत प्यारी गुडिया जैसी बच्ची को देखा फिर प्यार से उसे उठाती हुई बोली आ ख़ुशी बेटी दादी की गोद में आजा और प्यार से उसका माथा चूम लिया | बहु और रोहित की आँखे ख़ुशी से छलक उठी, डॉक्टर  भी सब माजरा समझ कर मुस्कुराती हुई वहां से चली गई |

Views: 765

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 7:53pm

haardik aabhar vandana ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 12:06pm

सौरभ पाण्डेय जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपने कहानी को सराहा ..ये सच है परिवार की समाज की खुशहाली मनुष्यों की वैचारिक सोच पर निर्भर करती है और ये बड़े दुःख की बात है की अधिकतर नारी है नारी की दुश्मन है चाहे वो दहेज़ प्रथा की बात लो या कन्या भ्रूण हत्या .....अगर नारी अपनी बात पर अड़िग हो जाए तो भ्रूण हत्या कम हो जाए ,उसको पूरा अधिकार है अपने आने वाले बच्चे पर क्यूँ फर्क करती है लड़की लड़के में जब दोनों ही उतने ही कष्ट से पैदा होते हैं .....यह बदलाव हर स्त्री में लाना पड़ेगा ...सोच बदलनी पड़ेगी और दहेज़ प्रथा को ख़त्म करना पड़ेगा |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 11:58am

उमा शंकर मिश्र जी हार्दिक धन्य वाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2012 at 11:07am

एक बात, इस दादी   को पोती के होने की खुशी का अहसास ’कराना पड़ा’. आज की पुत्रियों/ बेटियों का सबसे बड़ा काल कल की पुत्रियाँ/ बेटियाँ ही अक्सर क्यों होती हैं ? परिवार का परिवार त्रस्त दीखता है. जिस परिवार में दादियाँ, बुआएँ मन और विचारों से समृद्ध होती हैं, वह परिवार खुशहाल होता है. वह समाज निहाल रहता है. आखिर ऐसा हमेशा क्यों नहीं होता है ?

कहानी के इंगित पर आपको सादर बधाई, आदरणीया.

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 3, 2012 at 10:26am

सुन्दर कहानी     एक बहुत अच्छा सन्देश बहाती लघु कथा

बहुत बढ़िया प्रस्तुति


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 7:42am

अशोक कुमार रकतेला जी हार्दिक आभार आपने कहानी के तथ्य को समझा 

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 6:59am

राजेश कुमारी जी
             सादर, बहुत बढ़िया भावपूर्ण और कन्या बचाओ के सन्देश को प्रबल करती कहानी पर आपको हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 2, 2012 at 9:18pm

रेखा जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपका 

Comment by Rekha Joshi on June 2, 2012 at 8:36pm

रेखा हो यां राधा ,कहानी बहुत बढ़िया है ,बेटा हो यां बेटी ,कोई अंतर नही .बस बच्चे खुश रहे ,अच्छी रचना  पर बहुत बहुत बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 2, 2012 at 7:48pm

संदीप कुमार पटेल जी बहुत बहुत शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
7 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
9 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service