For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत बन्द महोत्सव.........

पप्पू ने पूछा पापा,
ये भारत बन्द क्या होता है ?
पापा मुस्कुराया
पप्पू को बताया -

बेटा,
मेरा भारत महान में लोकतान्त्रिक  सरकार है
और भारत बन्द हमारा  राजनैतिक त्यौहार है
जो विपक्ष द्वारा  मनाया जाता है
और पब्लिक को सताया जाता है

जो लोग किसी गरीब के घर में एक दीया तक नहीं जलाते
वे सड़कों पर टायर ट्यूब जलाते हैं
वाहनों पर भी पत्थर ख़ूब चलाते हैं
ट्रेनें रोक रोक के तोड़ फोड़ करते हैं
निशानेबाज़ी बसों पे बेजोड़ करते हैं
जम कर हुडदंग और मनमानी करते हैं
या यों समझो  कि कुछ तूफानी करते हैं
जब थक जाते हैं
तब रुक जाते  हैं


आम आदमी घर में बैठ,  तमाशा देखते हैं
और नेता लोग इस आग में रोटी सेंकते हैं
अहिंसा का आईना  जब चूरा चूरा हो जाता है
तब यह भारत बन्द महोत्सव पूरा हो जाता है


जय हिन्द !

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 1:51pm

आपकी  सुन्दर  और  सार्थक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार  भाई अशोक कुमार रक्ताले जी........जय हो !

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 6:54am

अलबेला जी
         सादर,
आम आदमी घर में बैठ,  तमाशा देखते हैं
और नेता लोग इस आग में रोटी सेंकते हैं
अहिंसा का आईना  जब चूरा चूरा हो जाता है
तब यह भारत बन्द महोत्सव पूरा हो जाता है

वाह! बहुत ही सुन्दर रचना.शायद आने वाली पीढ़ी इस तमाशे को बंद कराने में सफल हो. बधाई.

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:33am

आपका  हार्दिक हार्दिक आभार  बागी जी......आपकी  टिप्पणी विशेष  महत्व रखती है

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:30am


धन्यवाद संदीप  कुमारजी........

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:26am

आपकी सराहना सर आँखों पर  रेखा जी..........शुक्रिया

Comment by Rekha Joshi on June 2, 2012 at 8:24pm

आम आदमी घर में बैठ,  तमाशा देखते हैं 
और नेता लोग इस आग में रोटी सेंकते हैं 
अहिंसा का आईना  जब चूरा चूरा हो जाता है 
तब यह भारत बन्द महोत्सव पूरा हो जाता है,Albela ji bahut stik vyng Bhaart bandh pr ,badhai 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 6:58pm

कहाँ रह गया पीछे मैं इसको पढने में
बहुत खूबसूरत रचना सर जी
एकदम सटीक व्यंग हैं बंद करने वालों पर
बधाई हो आपको साहब


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 2, 2012 at 6:01pm

//जो लोग किसी गरीब के घर में एक दीया तक नहीं जलाते
वे सड़कों पर टायर ट्यूब जलाते हैं//

बिलकुल सटीक बयानी, मैने आज तक किसी भी आम आदमी को स्वतः अपनी दुकानों को बंद करते नहीं देख, वह तो लफंगों के डर से अपनी दुकानों को बंद करता है |बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 1, 2012 at 9:59pm

प्रिय अलबेला जी

भारत बंद पर आपकी कविता बहुत अच्छी है इसी विषय पर नीचे  क्रम में

मेरी एक व्यंग रचना भारत बंद जरुर पढियेगा हमारे और आपके विचार


लगभग मिलते जुलते हैं ऐसे आपकी सभी रचनाएँ पढ़ने में अलग अलग जायका दे जाती है .....बधाई

Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 5:07pm

धन्यवाद प्रदीप कुमार  कुशवाहा जी......
प्रयास को आपने  प्रोत्साहन  दिया.......शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
23 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
34 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service