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Very well written Mahima ji............. sidhe dil se dil tak pahuchne wali rachna
आदरणीय अशोक सर , सराहने के लिए आपकी आभारी हूँ / आपकी चिंता भी वाजिब है . जिस तरह से दुसित सब्जियों , फलों और अन्य खाद्य पदार्थो का चलन बढ़ा है उससे आक्रोस भी होता है / पर ये काम संपन्न किसान या कहे जमीदार टाइप के किसान की हैं जो उपभोक्तावाद और बाजारवाद के प्रभाव में आकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं और इसलिए जहरीले कीट नाशको का प्रयोग करते हैं .. पर यंहा मैंने उस गरीब किसानो की बात की है जिनके पास खेत तो हैं पर पैसे नहीं है कुछ भी उपजाने को /
महिमा जी
सादर, दोनों ही बहुत सुन्दर रचनाएं, बिचौलीयों के कारण किसानो की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. किन्तु आपकी रचना की पंक्ति इंच दर इंच बढ़ता देखता हूँ बरबस ही इंजेक्शन द्वारा फल और सब्जियों को विषैला करने की घ्रणित घटनाओं का स्मरण करा देती हैं.
ओह तब तो आपकी प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है ... अपने जिए गए अनुभव से कुछ आप भी लिखिए अरुण जी .
आपका लिखा हर लिहाज से बेहतर होगा ..
आपका प्रयास सफल रहा महिमा जी ! मैं खुद भी किसान परिवार से हूँ ! हर दर्द को महसूस किया है मैंने उसे जिया है ! काश कि सरकार भी सोच पाती आपके कवि ह्रदय की तरह !
पसंद करने के लिए धन्यवाद हिमांशु पटेल जी
परमआदरणीय योगराज सर , सादर नमस्कार .
अपनी वयस्त जीवनचर्या में से समय निकाल कर मेरी रचनाओ को आपने पढ़ा और मेरा उत्साहवर्धन किया , इसके लिए कितना भी कहू कम है सर . आपने पढ़ा लिखना सार्थक हुआ / हार्दिक धन्यवाद / सभार ..स्नेह बनाए रखे /
आपकी बाकी रचनाओं से हटकर लेकिन उतनी ही सशक्त !
व्यक्तिगत अध्यात्म और सामाजिक हर विषय पर कमाल की पकड़ है आपकी !
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना के बधाई और इस विषय पर लिखने के लिए अभिनन्दन !
आदरणीय सौरभ सर .. सादर नमस्कार
आपसे उत्साह भरा अनुमोदन अपेक्षित था / मैं आप दोनों गुरुजनो से अपने वर्तनी सम्बंधित त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ / हमेशा मुझसे त्रुटी रह जाती है / आपकी हार्दिक आभारी हूँ / सधन्यवाद /
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