For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(1)

जो ग़ालिब थे , मेरे जैसी ही उन पर भी गुज़रती थी,
अगर और जीते वो तो उनको क्या मिला होता....


डुबोया हम दोनों को अपने अपने जैसे होने ने,
वो न होते तो क्या होता , मैं न होती तो क्या होता....


जो बने हैं दोस्त नासेह, वही दोस्त बावफा हैं,
कहाँ हमें था अच्छा होना , जो वो चारासाज़ होता....


कोई फर्क अब नहीं है , शबे वस्ल हो या फुरकत,
ऐसे भी मर रहे हैं , वैसे भी मरना होता.....

************************************

*************************************

(2)

वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....


मैं जिसे अपना कहूँ उसकी वफादारी को,
मेरी चाहत के जरासीम खा जाते हैं.....


जाने अहबाब थे मेरे वो या कि चूहे थे,
इधर हम डूबते हैं, उधर वो भागे जाते हैं.....


आप भी आइये सर फोड़ लीजिये अपना,
बुतों का शहर है, याँ पत्थर ही पाए जाते हैं.....


हम वो मेंहदी हैं , जिन नाखूनों के सर चढ़ जायें,
कट भी जायें तो मेरा रंग न छुड़ा पाते हैं.....


आज बस इतना ही, कुछ और भी है काम ज़रा,
रोज़-ओ-अय्याम की गर्दिश है, अभी आते हैं ..........

---------------------------------------------------------------------

बावफा……..वफादार, ** चारासाज़….चिकित्सक , ** वस्ल……….मिलन,* * फुरकत……..जुदाई, **जरासीम……रोगाणु, बैक्टीरिया, ** अहबाब……..दोस्त, ** रोज़-ओ-अय्याम की गर्दिश…..दिन और रात का चक्र.

Views: 859

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 22, 2012 at 11:00pm


आदरणीया सरिता सिन्हा  जी जय श्री राधे ..अब आप ने उर्दू लफ्ज समझाना शुरू किया अब आएगा मजा ...भ्रमर ५ 

आदरणीया सरिता सिन्हा  जी जय श्री राधे नाम तो आप का लिया है लेकिन सीमा जी कह दिया क्षमा करियेगा ...क्षमा बड़न  को चाहिए हम बालक तो उत्पाती हैं ही . वर्तमान व्यवस्था व परिस्थिति पर  पर बढ़िया कटाक्ष ..  आभार आप का  काश  ये  विषमताएं दूर हों  सरिता जी ...भ्रमर ५ 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 22, 2012 at 9:38am

दोनों नज़्म खुबसूरत हैं, कहन बहुत ही उम्दा , बधाई स्वीकार करें |

Comment by Sarita Sinha on May 21, 2012 at 1:08pm

परम  स्नेही मित्रों, नमस्कार, 

क्षमा चाहती हूँ असावधानीवश  मैं ने उर्दू शब्दों के अर्थ नही लिखे थे ...आदरणीय योगराज जी की सहायता से अब लिख दिया  है...असुविधा के लिए पुनः  क्षमाप्रार्थी हूँ...

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 1:01pm

उर्दू शब्दों का हिंदी में अर्थ देने के लिए धन्यवाद सरिता सिन्हा जी।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 12:26pm

बहुत सुन्दर सरिता सिन्हा जी, बधाई स्वीकार कीजिये. यदि आप कठिन उर्दू शब्दों का हिंदी  में अर्थ भी साथ ही दे दें तो बहुत अच्छा होगा.

Comment by Rekha Joshi on May 20, 2012 at 10:32am

वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....

sarita ji apne to kmaal kar diya ,badhaai 

Comment by Rekha Joshi on May 20, 2012 at 10:30am

कोई फर्क अब नहीं है , शबे वस्ल हो या फुरकत,
ऐसे भी मर रहे हैं , वैसे भी मरना होता.....

ati sundr gazal,sarita ji badhai

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 9:02am

सरिता जी
         सादर,
               वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
               मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....
वाह! बहुत ही सुन्दर गजलें. बधाई.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 19, 2012 at 10:25pm

वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....

आप भी आइये सर फोड़ लीजिये अपना,
बुतों का शहर है, याँ पत्थर ही पाए जाते हैं.....


हम वो मेंहदी हैं , जिन नाखूनों के सर चढ़ जायें,
कट भी जायें तो मेरा रंग न छुड़ा पाते हैं...

सरिता जी बहुत सुन्दर रचनाएं ...उर्दू लफ्ज जो कठिन हैं अगर अर्थ उनका नीचे लिख सकें तो शेरो शायरी में आनंद और आये ..भ्रमर  ५ 


Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 19, 2012 at 9:20pm

वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....
अपने अन्दर झांक कर देखना चाहिए था!
सरिता दीदी आप बहुत कठिन उर्दू लिखती हैं! फिर भी वाह! वाह! तो बनती ही है !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service