For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।

दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।

आईना जैसे के पत्थर तलाश करता है॥

एक दो क़तरे से ये प्यास बुझ नहीं सकती,

दिल मेरा अब तो समंदर तलाश करता है॥

तेरी धड़कन तेरी हर सांस में छुपा है वो,

आजकल जिसको तू बाहर तलाश करता है॥

जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,

लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥

छोडकर मुझको तड़पता हुआ अकेले में,

वो किसी और का बिस्तर तलाश करता है॥

चैन जो दिन का चुराता है नींद रातों की,

दिल उसे ख़्वाबों में अक्सर तलाश करता है॥

अपने हाथों की लकीरों को देखकर मुफ़लिस,

रात दिन अपना मुकद्दर तलाश करता है॥

हरसू मिलती है बहुत भूक बेबसी तंगी,

जब ग़रीबों का कोई घर तलाश करता है॥

खिड़कियाँ खोल के बाहर नहीं देखा “सूरज”

धूप को कमरे के अंदर तलाश करता है॥

                        डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on May 16, 2012 at 8:43pm
आदरणीय डॉ सूरज जी , नमस्कार  , आपकी ये गजल ने तो निशब्द कर दिया ... वाह वाह वाह !!
हार्दिक बधाई आपको
Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 8:20pm

अपने हाथों की लकीरों को देखकर मुफ़लिस,

रात दिन अपना मुकद्दर तलाश करता है॥

जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,

लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥

इन शेरो के लिए विशेष बधाइयां स्वीकार करें जनाब..... बहुत उत्तम.... और आपका मक्ता तो सुभानल्लाह....क्या कहने.... :)

Comment by Raj Tomar on May 16, 2012 at 7:42pm

बहुत खूब.

जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,

लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥
मतलब.. हद हो गई.:)

 

Comment by Rekha Joshi on May 16, 2012 at 4:30pm

खिड़कियाँ खोल के बाहर नहीं देखा “सूरज”

धूप को कमरे के अंदर तलाश करता है॥beautiful lines,badhaai

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2012 at 3:24pm

waah waah kya..................baat hai ....................aur prabhakar sir ki pratkriya ke baad ham alfaaj talash karte hain ....................badhai ho sir ji...


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 16, 2012 at 2:57pm

//दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।
आईना जैसे के पत्थर तलाश करता है॥ // आहा हा हा हा हा हा !!!! क्या रिबायती रंगत का मतला कहा है - बहुत खूब.

//एक दो क़तरे से ये प्यास बुझ नहीं सकती,
दिल मेरा अब तो समंदर तलाश करता है॥ // वाह वाह वाह !

//तेरी धड़कन तेरी हर सांस में छुपा है वो,
आजकल जिसको तू बाहर तलाश करता है॥ // बहुत आला दर्जे की आध्यात्मिक बात कही है - आफरीन.

//जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,
लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥ // बहुत खूब.

//छोडकर मुझको तड़पता हुआ अकेले में,
वो किसी और का बिस्तर तलाश करता है॥ // बेहतरीन ख्याल - लाजवाब शेअर.

//चैन जो दिन का चुराता है नींद रातों की,
दिल उसे ख़्वाबों में अक्सर तलाश करता है॥ // अति सुन्दर.

//अपने हाथों की लकीरों को देखकर मुफ़लिस,
रात दिन अपना मुकद्दर तलाश करता है॥ // हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर, हकीकत बयां करता हुआ. आनंद आ गया. 

//हरसू मिलती है बहुत भूक बेबसी तंगी,
जब ग़रीबों का कोई घर तलाश करता है॥ // बहुत खूब.

//खिड़कियाँ खोल के बाहर नहीं देखा “सूरज”
धूप को कमरे के अंदर तलाश करता है॥// मकता भी बेहद खूबसूरत कहा है. इस खूबसूरत कलाम के लिए मेरी दिली बधाई कबूल फरमाएँ डॉ सूर्या बाली "सूर्य" साहिब.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service