For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्दों की जुगाली
करत रहा मनवा ये मवाली
लुच्चे से ख़यालात
लफंगे से अहसास
बदमाश जज़्बात
सोच रहा हूँ
सुना दूं इन्हें
उम्रकैद की सज़ा
डायरी के पन्नों में

Views: 383

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दुष्यंत सेवक on April 24, 2012 at 11:48am

आदरणीय प्रदीप जी, सादर नमन, आपने लिखे को मान दिया... धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 24, 2012 at 11:45am

आदरणीय दुष्यंत जी, सादर.

ऐसे ख्यालात को कैद  ही  बेहतर 
बधाई.
Comment by दुष्यंत सेवक on April 23, 2012 at 12:45pm

सादर धन्यवाद आदरणीय संदीप जी एवं बागडे साहब.. 

Comment by AVINASH S BAGDE on April 23, 2012 at 11:35am

सोच रहा हूँ
सुना दूं इन्हें 
उम्रकैद की सज़ा
डायरी के पन्नों में...wah..दुष्यंत सेवक भाई|

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 22, 2012 at 4:22pm

लघुता में गुरुता का एक सुन्दर उदाहरण| बधाई दुष्यंत जी!

Comment by दुष्यंत सेवक on April 22, 2012 at 2:38pm

आदरेया महिमा जी व डॉ. प्राची जी तथा आदरणीय सौरभ सर व राणा भाई साहब ... सादर धन्यवाद.. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 22, 2012 at 12:43pm

वाह ...अच्छा है भाई|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 21, 2012 at 9:25pm

अरे वाह !! ....  . 

Comment by MAHIMA SHREE on April 21, 2012 at 8:28pm

हा हा हा :)

यूँही कभी-२ अच्छा ख्याल भी आता है ...  :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post मनका छंद
"आ. भा सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

मनका छंद

मनका / वर्णिका छंद - तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांतमस्त जवानी   …See More
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सहमत"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"हार्दिक आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सशील जी, शब्दों को मान देने के लिए आभार। संशोधन के बाद दोहा निखर भी गया है । सादर..."
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .राजनीति

दोहा पंचक. . . राजनीतिराजनीति के जाल में, जनता है  बेहाल । मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
Sunday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service