For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका -- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका
संजीव 'सलिल'
*
लिखा रहा वह, हम लिखते हैं.
अधिक देखते कम लिखते हैं..

तुमने जिसको पूजा, उसको-
गले लगा हमदम लिखते हैं..

जग लिखता है हँसी ठहाके.
जो हैं चुप वे गम लिखते हैं..

तुम भूले सावन औ' कजरी
हम फागुन पुरनम लिखते हैं..

पूनम की चाँदनी लुटाकर
हँस 'मावस का तम लिखते हैं..

स्वेद-बिंदु से श्रम-अर्चन कर
संकल्पी परचम लिखते हैं..

शुभ विवाह की रजत जयन्ती
मने- ज़ुल्फ़  का ख़म लिखते हैं..

संसद में लड़ते, सरहद पर
दुश्मन खातिर यम लिखते हैं.

स्नेह-'सलिल' में अवगाहन कर
साँसों की सरगम लिखते हैं..
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://@#@%$#@#$%$#$%%omhtt#$$#@#%$#%indi.in

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 29, 2012 at 10:39am

सुन्दरतम है बनी मुक्तिका

ईश कृपा से हम लिखते हैं

स्वागत हे गुरुदेव आपका 

मनभावन हर दम लिखते हैं

सादर

Comment by sanjiv verma 'salil' on April 29, 2012 at 10:06am

आपकी गुणग्राहकताको नमन.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 9, 2012 at 12:33am

जग लिखता है हँसी ठहाके.
जो हैं चुप वे गम लिखते हैं..

तुम भूले सावन औ' कजरी 
हम फागुन पुरनम लिखते हैं..

पूनम की चाँदनी लुटाकर
हँस 'मावस का तम लिखते हैं

बहुत खूब रही मुक्तिका आप के ..सच में कितना मन भावन लिखते हैं ..भाव प्रधान ..सुन्दर प्रस्तुति  ..जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 


Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 6, 2012 at 9:43pm

सर उत्कृष्ट रचना पर बधाई स्वीकार करें

Comment by वीनस केसरी on April 6, 2012 at 12:50am

संजीव जी इस भाव प्रधान श्रेष्ठ मुक्तिका के लिए तहेदिल से बधाई स्वीकारें

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 5, 2012 at 8:14pm

तुम भूले सावन औ' कजरी
हम फागुन पुरनम लिखते हैं..

स्वेद-बिंदु से श्रम-अर्चन कर
संकल्पी परचम लिखते हैं..

क्या सुन्दर सृजन है आदरणीय आचार्य जी! निःशब्द हूँ प्रशंसा क्या कर पाऊंगा| हार्दिक बधाई!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 5, 2012 at 10:51am

पूनम की चाँदनी लुटाकर
हँस 'मावस का तम लिखते हैं.. 

BAHUT SUNDAR ABHUVYAKTI AADARNIYA SALIL SAHAB, SADR BADHAI.

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 5, 2012 at 9:13am

संसद में लड़ते, सरहद पर
दुश्मन खातिर यम लिखते हैं.

स्नेह-'सलिल' में अवगाहन कर
साँसों की सरगम लिखते हैं..

बहुत श्रेष्ट व्यंजना आपकी,

सचमुच ही बादम लिखते हैं|

आभार, सादर वंदे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service