For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तनहा खड़ा 

एक पेड़ हूँ मैं 

बरसों पहले 

नन्हा सा प्यारा बच्चा

पास के जंगल से 

मोहित हो मेरे रूप पर 

अपनी नन्ही बाँहों में भर 

घर मुझे ले आया था 

कोमल हाथों से अपने 

आंगन में मुझे बसाया था 

सोते जागते उठते बैठते 

पास मेरे मंडराता था 

सुबह शाम पानी देकर 

मन ही मन इठलाता था 

बच्चे खेलें साथ मिलकर 

उनसे मुझे बचाता था 

आँगन उसका इतना बड़ा था 

जैसे होता माँ का दिल 

रह न जाऊं कहीं  अकेला 

नित नए पेड़ लगाता था 

 साथ -साथ हम बड़े हुए 

कई साथी मुझको दिए 

अपना घर परिवार बढाया 

जीवन के हर सुख-दुःख में 

अपना साझीदार बनाया 

कल चक्र से सब बंधे हुए 

समय बीता हम जुदा हुए 

वो आज नहीं है 

पर अभी हूँ मैं 

अकेले में खड़ा 

एक पेड़ हूँ मैं 

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 2, 2012 at 1:19pm

snehi arun ji, bhav samjhe. likhna safal hua. aap log safal lekhak hain. likhte rahiye. dhanyvad.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 2, 2012 at 1:17pm

snehi mahima ji , shubhashish. ye sab apki mehanat ka fal hai. badhai to aap logon ko meri taraf se.badhiya badhiya  likhen, yahan gyan prapt karen. aapka nam ho. dhanyavad.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 2, 2012 at 1:11pm

dhanyvad adarniya ashok ji sadar abhivadan ke sath. sneh banaye rakhiye.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 2, 2012 at 1:07pm

adarniya singh sahab ji, sadar abhivadan. apka sneh, samarthan abhar. rini rahunga ajivan. paid katne ko log aari par dhar rakh rahe hain. dhanyvad.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 2, 2012 at 1:01pm

aadarniya rajesh kumari ji, sadar abhivadan, sarahna hetu abhar, nachij ko sneh diye rahiye. dhanyvad.

Comment by Arun Sri on April 2, 2012 at 10:51am

वाह सर जी ! क्या लिखा है ! वाह वाह !
सचमुच , महानता के पीछे कभी कभी बहुत दर्द छुपा रहता है !

आपने समझा ! आपके कवि ह्रदय को प्रणाम !

Comment by MAHIMA SHREE on April 2, 2012 at 10:41am
आदरणीय सर .
सादर प्रणाम
सर्वप्रथम आपको महीने का सर्वाधिक सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई....
अच्छे लग रहे है सर...:))
वो आज नहीं है
पर अभी हूँ मैं
अकेले में खड़ा
एक पेड़ हूँ मैं ...
जीवन के यथार्थ की सुंदर अभिव्यक्ति.....आपको मेरी शुभकामनाये और बधाई...
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 1, 2012 at 10:39pm

प्रदीप जी,
              साथ बिताये क्षणों की यादें ही साथ रह जाती है और रह जाता है बिछड़ने का गम. सुन्दर काव्य. बधाई.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 1, 2012 at 10:27pm
आप रहें हमेशा छाया बनकर,
पंछी को ललचायें माया बनकर!
नित नए पौधे निकलें  और बड़े हों,
आपके अगल बगल खड़े हों.
कभी न महसूस करें अकेला.
किसलिए है आखिर आपका यह चेला!
श्रद्धेय  कुशवाहा जी, आपको हार्दिक नमन!
रामनवमी के शुभ अवसर पर आपको मिले सम्मान पर मेरी हार्दिक शुभकामना!
जय श्री राम, जय पवन पुत्र हनुमान!
 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 1, 2012 at 4:42pm

prakarti aur manav ka shareer aur aatma jaisa sambandh hota hai ...bahut sundar likha hai pradeep ji.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service