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निजत्व की खातिर

निजत्व की खातिर
कर्तव्यो की बलिवेदी से
कब तक भागेगा इन्सान
ऋण कई हैं
कर्म कई हैं
इस मानव -जीवन के
धर्म कई हैं
अचुत्य होकर इन सबसे
क्या कर सकेगा
कोई अनुसन्धान
कई सपने हैं
कई इच्छाये हैं
पूरी होने की आशाये हैं
पर विषयों के उद्दाम वेग से
कब तक बच सकेगा इन्सान
भीड़-भाड़ है
भेड़-चाल है
दाव-पेंच के
झोल -झाल है
इनसे बच कर अकेला
कब तक चलेगा इन्सान
कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं
डूब के इनमे
अपनों से कब तक
मुख मोड़ सकेगा इन्सान

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Comment

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Comment by MAHIMA SHREE on March 16, 2012 at 2:22pm
वाहिद जी नमस्कार ,सादर आभार आपका सराहना और उत्साहवर्धन के लिए
के लिए
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 16, 2012 at 1:47pm

जिज्ञासायों के कई भंवर हैं
डूब के इनमे
अपनों से कब तक
मुख मोड़ सकेगा इन्सान

स्नेही महिमा जी. बहुत खूब, बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 16, 2012 at 11:56am

यथार्थपरक कविता महिमा जी| जीवन की विषमताओं का सटीक चित्रण| आपकी कविताएँ सदैव ही कुछ नए विषयों से रूबरू कराती हैं| हार्दिक आभार आपका,

Comment by MAHIMA SHREE on March 16, 2012 at 11:38am
अश्विनी जी नमस्कार ..
आपका बहुत-२ धन्यवाद्
Comment by MAHIMA SHREE on March 16, 2012 at 11:33am
विंदेश्वरी भाई आपका हार्दिक आभार ..जॅहा तक भंवर में छोड़ने है
की बात है तो आप भी जानते है ..पूरा जीवन भी निकल जाये तब भी प्रकृति के रहस्यों का सटीक उत्तर मिलना और संतुष्ट होना थोडा मुस्किल सा है...
Comment by MAHIMA SHREE on March 16, 2012 at 11:11am
राकेश जी ....आपसे सहमत हू...धन्यवाद आपका
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 15, 2012 at 10:01pm
ऐसी ही कुछ जिज्ञासायें मेरी हाइकू रचना 'जीवन के सत्य' में भी उठी हैं।जिस पर मैं आजतक निरूत्तर हूं।आपने भी भंवर में छोड़ दिया,छोटे भाई पर कुछ तो रहम करतीं बहन।
Comment by अश्विनी कुमार on March 15, 2012 at 9:52pm

यथार्थ का अति सुंदर चित्रण ........

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 15, 2012 at 9:51pm
कथ्य और शिल्प दोनों ही दृष्टिकोण से अच्छी रचना है।आपको भूरि-भूरि बधाई।
जिज्ञासायों मे टंकण दोष है।
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 15, 2012 at 9:23pm

निजत्व की खातिर
कर्तव्यो की बलिवेदी से
कब तक भागेगा इन्सान.... Bahut sundar, khas kar palayan vadi logo ke liye jinhe lagta hai ki Mumbai dilli me sab acha hai aur UP bihaar me sab bura.

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