For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 चेहरा ये कैसा होता गर आँख नहीं होती.

दिल कैसे फिर धड़कता गर आँख नहीं होती.

रक़ीब से भी बदतर हो जाते कभी अपने.

मालूमात कैसे होता गर आँख नहीं होती.

कितना हसीन है दिल चाक करने वाला.

एहसास कैसे होता गर आँख नहीं होती.

कुर्सी के नीचे बर्छी आखिर रखी है क्यूँ कर.

तहक़ीकात कैसे होती गर आँख नहीं होती.

मिलती औ झुकती - उठती फिर चार होती आँखें.

ये करामात कैसे होती गर आँख नहीं होती.

गीतकार - सतीश मापतपुरी

 

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on September 6, 2011 at 1:05am

सौरभ जी और गणेश जी, सराहना के लिए  आदर सहित आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 4, 2011 at 7:35pm

एक समझाती हुई रचना .. बेहतरीन चक्षु-चित्र के साथ..  बधाई.. !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 4, 2011 at 5:37pm

बहुत खूब सतीश भईया,

खुबसूरत है यह रचना है प्यारी,

कैसे पढ़ पता गर आख नहीं होती .......:-)

 

बहुत ही सुंदर रचना भईया , बहुत बहुत आभार आपका !

Comment by satish mapatpuri on September 3, 2011 at 3:41pm

आशीष जी और अरुणजी हौसला अफजाई के लिए बहुत -बहुत शुक्रिया.

अरुण जी, यह आँख ऐश्वर्या राय की है.आपका सुझाव अच्छा है. 

Comment by Abhinav Arun on September 3, 2011 at 2:58pm

chitr bhi akarshak hai - ye aankhen ..rani hai ya aishwarya ?

satish ji ek aisi bhi pratiyogita bhi ho sakti hai o b o par jismen log chehra pehchaane ... its good idea admin should look into it .

Comment by Abhinav Arun on September 3, 2011 at 2:56pm

kamaal ki rachna kamaal ki pankti -

मिलती औ झुकती - उठती फिर चार होती आँखें.

ये करामात कैसे होती गर आँख नहीं होती.

bahut bahut badhai satish ji !!

Comment by आशीष यादव on September 3, 2011 at 2:21pm

बढ़िया रचना|
 कैसे हम पढ़ पाते आप की रचनाओं को, गर आँख नहीं होती|

Comment by satish mapatpuri on September 2, 2011 at 2:48am

गुरूजी,वन्दना जी और मोनिका जी, सराहना के लिए धन्यवाद.

Comment by monika on September 2, 2011 at 2:27am

वाह बहुत खूब................... क्या कहने

Comment by Rash Bihari Ravi on September 1, 2011 at 1:39pm

vqah kya bat hain sir ji aankh nahi hota to bait kaise hota

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service