For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धारावाहिक कहानी :- मिशन इज ओवर (अंक-२)

मिशन इज ओवर (कहानी )

लेखक -- सतीश मापतपुरी

अंक -१ पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

  • अंक - दो

                   इंसान अगर जीने का मकसद खोज ले तो निराशा स्वत: दम तोड़ देगी. विकास को निराशा के गहरे अँधेरे कुंए में आशा की एक टिमटिमाती रोशनी नज़र आई,उसने मन ही मन सोचा -" क्यों न एड्स के साथ जी रहे लोगों के पुनर्वास और उनके प्रति लोगों के दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव को अपने जीवन का मकसद बना लूँ ?"................. और धीरे -धीरे यह सोच दृढ़ संकल्प बन गया. विकास ने महसूस किया कि उसकी जिजीविषा अंगड़ाई लेकर जाग उठी है. उसने खुद को हल्का महसूस किया.

आज कई रोज के बाद विकास शाम को कमरे से बाहर निकला और सुनीता से मिलने मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल जा पंहुचा I उसने सुनीता को बिना वजह बताए अपने गाँव जाने की बात बताई और बिना उसका जवाब सुने, बिना उसकी तरफ देखे, वहाँ से वापस हो लिया I उसने सुनीता को कुछ कहने का मौका नहीं दिया I उसकी कानो में क्रमशः क्षीण पड़ती जा रही सुनीता की आवाज़ अभी भी आ रही थी- 'विकास सुनो ......विकास रुको............ विकास रुका तो I ' लेकिन न तो वह रुका और न ही पलट कर सुनीता की तरफ देखा I चलते समय उसने सुनीता को अपना कोई पता-ठिकाना भी नहीं बताया था I

 

अब विकास के सामने उसके जीवन का मकसद और भी स्पष्ट हो चुका था I वह जानता था कि इस मकसद को अमली-जामा पहनाने में उसके बचपन का मित्र रहमत अली मदद कर सकता है I रहमत अली जन-सेवा एवं समाज-सेवा के लिए स्वयं को समर्पित कर चुका था I

विकास गाँव आकर रहमत अली से मिला I वह मन ही मन काफी देर से सोच रहा था कि रहमत से अपनी बात कहे तो कहे कैसे? अगर ईरादा पक्का हो तो राहें खुद-ब-खुद निकल आती हैं I दोनों बातचीत करते हुए गाँव के मध्य से गुजर रहे थे, अचानक कुछ शोरगुल सुनायी पड़ा I एक घर के सामने भीड़ लगी हुई थी I दोनों उस घर के सामने आकर खड़े हो गए I गाँव में रहमत अली की न सिर्फ प्रतिष्ठा थी बल्कि वह लोगों में काफी लोकप्रिय भी था I ग्रामोत्थान ,नारी-जागरण ,साक्षरता जैसी कई स्वयं सेवी संस्थायें रहमत अली के संरक्षण में चल रही थीं I वहां पहुचने पर दोनों को मालुम हुआ कि रामलाल अपने छोटे भाई श्यामलाल को घर से निकाल रहा है और गाँव वाले भी रामलाल का ही साथ दे रहें हैं I पूछने पर रामलाल ने रहमत अली को बताया कि-'मेरे भाई को एड्स हो गया है,अब भला मैं इसे घर में कैसे रख सकता हूँ?'

विकास की आशा के विपरीत रहमत अली इस मामले पर खामोश रह गया ................................................................

क्रमश:

अंक ३ पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

 

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 5, 2011 at 11:31pm

बहुत अच्छी कहानी लिखी आपने !बहुत बहुत बधाई आपको !  किसी भी परिस्थिति में इंसान को हार नहीं माननी चाहिए विकट से विकट स्थिति में भी इंसान को जीने के लिए कोई न कोई मिशन मिल ही जाता है ! :-)

Comment by satish mapatpuri on August 13, 2011 at 1:02am

जय हो गुरूजी, आप मिशन इज ओवर का हर अंक पढ़ रहे हैं,इसके लिए शुक्रिया.

रविजी, हर लेखक -कवि अर्थात साहित्यकार अपने युग का प्रतिनिधि होता है, वह वही लिखता है -जो समाज में घटित होता है. आपने अपना बहुमूल्य समय निकाल कर मेरी कहानी पढ़ी और अपनी राय व्यक्त की, इसके लिए बहुत -बहुत धन्यवाद.

परम आदरणीय सौरभजी, आपकी सराहना से मुझे प्रेरणा मिलती है, धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 12, 2011 at 2:56pm

घटनाक्रम का टेम्पो बहुत ही फास्ट रखा है आपने, सतीशभाई.  तीसरे अंक का एकदम से इंतज़ार है..

बहुत अच्छे, सतीशभाई. शुभ-शुभ.. ..

 

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 12, 2011 at 9:27am

aapne kya jan jagran abhiyan chalaya hai .....is kahani ke madhyam se ......padkar achha laha badhai swikaar karen aur saath hi naman..........

Comment by Rash Bihari Ravi on August 11, 2011 at 2:28pm

bahut badhia apna dost se bole ki nahi bole tensan de diye bhai 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service