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गीत.... असल कामयाबी जीवन की

असल कामयाबी जीवन की
सहज सरल सादा जीवन हो


बचना होगा वासना लिप्सा
अतिशय कामना नहीं मन हो
चल सकता काम अगर दो रोटी
तो एक गाय कुत्ते को दे दो !
पेट भरा होने पर भैया
उसे कभी अवकाश भी दो

असल कामयाबी जीवन की
सहज सरल सादा जीवन हो

होता सूर्य है उत्तरायण

सुनहला है अब वातावरण
निकली है अब धूप धुंध से
क्षमा भाव अपनाते सज्जन
सहने की सामर्थ्य बढ़ा लो

असल कामयाबी जीवन की
सहज सरल सादा जीवन हो

कंक्रीट का जंगल छोड़ें
नदी झील पर्वतों फिर जुड़ें
सादा सा घर प्रकृति बनायें
पगडंडी जिसकी पक्की हो
दिन में धूप रात सोलर हो

असल कामयाबी जीवन की
सहज सरल सादा जीवन हो

कलकल करते झरनों से जल
नदियों में स्नान हमारा हो
गुड़ गुड़ स्रोत बहते पर्वतों
मधुर रास कानो घुलता हो


कि प्रकृति आँगन हों किलकारी
सारे उत्सव ग॔गा - तट हों !

असल कामयाबी जीवन की

सहज सरल सादा जीवन हो

भोग की स्वयं संस्कृति त्यागें
काकटेल मदिरा से भागें
मौसम में फलों का रसपान
सोयी हुई मेधा जगा दे


धरती पुत्र हमें बनना होगा
मान माँ-बाप का बढ़ा दो

असल कामयाबी जीवन की
सहज सरल सादा जीवन हो

मौलिक व अप्रकाशित

प्रोफ. चेतन प्रकाश 'चेतन'

Views: 84

Comment

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Comment by PHOOL SINGH on January 27, 2023 at 2:56pm

बहुत बहुत सुंदर गीत सर बधाई स्वीकारें 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2023 at 3:36pm

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है । हार्दिक बधाई।

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
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"सादर"
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"बात तो उचित है. आप संशोधित रचना यहीं, इसी आयोजन में पोस्ट कर दें, आदरणीय."
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"रचना पर उपस्थिति तथा मूल्यवान सुझावों के लिए आपका अति आभार है सौरभ जी। आपका मार्गदर्शन तथा प्रशंसा…"
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