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अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

पीर को,अनुराग को, पछतावे को, संताप को।

छोड़कर कैसे चलूँ, मुश्किल में,अपने आप को।

मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन,
अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को

अब यहाँ से वापसी का रास्ता कोई नहीं,
मुश्किलों से पँहुचे हो,समझाओ अपने आपको।

मेघ ऐसे घिर गए हैं सूर्य धूमिल हो गया,
कामनाओं की नदी पर चाहती है ताप को।

हमको खुद को दर्द देने के बहाने चाहिए,
सौ सबब* में एक तू भी गिन ले अपने आपको।

आपका ठुकराया ये जीवन भला जाता कहाँ,
शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को।

ग्लानि में डूबी हुई मन की अहिल्या राम जी!
हर घड़ी ये सोचती है तोड़ दो अब शाप को।

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by मनोज अहसास on December 1, 2022 at 11:07am

आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आभार

सादर

Comment by मनोज अहसास on December 1, 2022 at 11:06am

आदरणीय समर कबीर साहब

सादर प्रणाम

कृपा दृष्टि बनाये रखें

बहुत बहुत आभार

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 29, 2022 at 4:59pm

आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।   आ.भाई समर जी की सलाह से यह और निखर जायेगी।

Comment by Samar kabeer on November 28, 2022 at 11:30am

 // मुझे तो इसकी बह्र ठीक ही लग रही है//

बह्र ठीक है, मुझसे ही भूल हुई,क्षमा चाहता हूँ, आप जानते हैं आँखें कमज़ोर हैं ।

//अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है//

"और" शब्द को "और" लिखना ही उचित होता है ।

'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'

इस मिसरे में 'की' को "के" कर लें ।

बाक़ी शुभ-शुभ ।

Comment by मनोज अहसास on November 27, 2022 at 6:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर साहब

'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I मुझे तो इसकी बहर ठीक ही लग रही है सर बाकी आप निर्देश देने की कृपा करें

'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?

इसमें अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है....

'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?

इस मिसरे में नाप का अर्थ लंबाई से है

बाकी गजल के विषय में आप अपनी राय देने की कृपा करें बहुत-बहुत आभार आदरणीय

Comment by Samar kabeer on November 27, 2022 at 2:35pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I 

'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I 

'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?

'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?

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