For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या दबदबा हमारा है!

क्या दबदबा हमारा है!

लोक तन्त्र का सुख भोगेंगे
चुने गए हम राजा हैं

देश हमारा, मार्ग हमारा
हम ही इसके आका हैं

चाहे जितनी गाड़ी रक्खें
फुटपाथों पर, बीच सड़क

हमको भला कौन रोकेगा?
जन प्रतिनिधि ,बेधड़क, कड़क

आस-पास हैं गार्ड हमारे
ले बन्दूकें साथ चलें

डर से जन सहमे रहते हैं
क्या मजाल जो घात करें?

पिए शक्ति-मद हम मतवाले
करते नित्य बवाला हैं

संग चापलूसों का दल-बल
क्या दबदबा हमारा है!

मौलिक एवं अप्रकाशित





Views: 288

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Awasthi on August 22, 2022 at 3:04pm

आदरणीय सुशील सरन जी, रचना पसंद आई जानकर हर्ष हुआ।

हार्दिक धन्यवाद आपका

Comment by Sushil Sarna on August 22, 2022 at 12:30pm
वाह आदरणीया जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति है
Comment by Usha Awasthi on August 17, 2022 at 12:03pm

अवनीश धर द्विवेदी जी, रचना सुन्दर लगने हेतु हार्दिक आभार आपका, सादर।

Comment by Awanish Dhar Dvivedi on August 16, 2022 at 10:02pm

बहुत सुन्दर रचना।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. जयहिंद रायपुरी जी, अभिवादन, खूबसूरत ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
26 minutes ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, सादर अभिवादन  आपने ग़ज़ल की बारीकी से समीक्षा की, बहुत शुक्रिया। मतले में…"
31 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service