For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुभद्रा कुमारी चौहान

राष्ट्रीय चेतना की सजग प्रहरी और मणिकर्णिका की वीरता को घर-घर पहुंचाने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान की सुप्रसिद्ध कविता झांसी की रानी की पंक्तियाँ

'बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी...

'सुप्त जनता के दिलों में आजादी का अलाव जगाने आयी सुभद्रा कुमारी चौहान की ये पंक्तियाँ सुभद्रा जी द्वारा रचित कई कविताओं से ज्यादा ख्याति प्राप्त हैं। 


नौ साल की उम्र में पहली कविता ’नीम’ लिखने वाली सुभद्रा जी का जन्म इलाहाबाद के निहालपुर में जमींदार परिवार में 16 अगस्त, 1904 में हुआ था। चार बहनों और दो भाईयों वाली सुभद्रा जी का विवाह खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण के साथ हुआ था और अपने जीवन संगिनी के साथ राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ी,कई बार जेल भी गयीं। सरल, सहज, सपष्ट भाषा और वातावरण अनुसार चित्रण प्रधान शैली में लिखी नारी विमर्श केन्द्रित कहानियां ’बिखरे मोती’ संग्रह में पन्द्रह कहानियां, उन्मादिनी संग्रह में नौ कहानियां,सीधे-साधे चित्र में चौदह कहानियां तथा कविता संग्रह मुकुल, त्रिधारा,अन्य कविताएँ, बाल साहित्य झांसी की रानी,कदंब का पेड़, सभा का खेल हैं। सरल काव्यात्मक ह्रदयग्राही,उन्माद,जुनून,जज्बात और वीर रस की प्रधानता हैं। 


कुछ रचनाओं की अद्भुत पंक्तियाँ...

झाँसी की रानी कविता में देशभक्ति, राष्ट्रीय चेतना की भावना...सोये हुये को जगाना वीर रस की सरसता..

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी।

कविता 'वीरों का कैसा हो नमन ?’ में एक वीर सैनिक सारी सुख-सुविधाओं को त्यागकर देश की सेवा के लिए तत्पर हैं...

आ रही हिमाचल से पुकार
दे उदधि गरजता भू नभ अपार।

कदंब का पेड़ कविता में बाल सुलभ मन की इच्छाओं को चित्रण करती...

यह कदंब का पेड़ अगर होता मां यमुना तीरे
मैं भी उन पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे।

मुकुल कविता में अपनी दुखःद स्थिति की ओर इशारा हैं...


मुझे छोड़कर तुम्हें प्राणधन
सुख या शान्ति नहीं होगी
यही बात तुम भी कहते
सोचो,भ्रान्ति नहीं होगी।

नारी विमर्श केन्द्रित कहानियां जिनकी कथावस्तु नारी प्रधान पारिवारिक सामाजिक समस्याएं, राष्ट्रीय आंदोलन, स्त्रियों की स्वाधीनता, जातियों का उत्थान,देशभक्ति समाहित हैं।


’बिखरे मोती’ किताब में आत्मकथ्य में लिखा...हृदय के टूटने से ऑसू निकलते हैं, जैसे सीप फूटने से मोती....मोती का मूल्य रत्न पारखी ही जानता हैं...मैं भूखे को भोजन और प्यासे को पानी पिलाना अपना परम धर्म समझती हूँ। ईश्वर के बनाएं नियमों को मानती हूँ।’


अल्पायु से ही कविता लिखने का सिलसिला आजीवन जारी रहा, साथ ही पारिश्रमिक तौर पर कहानियां लिखने वाली सुभद्रा जी की जीवन-मृत्यु के साथ अद्भुत संयोग था। नागपंचमी को जन्मी और वसंत पंचमी को स्वर्गारोहण करने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान जी धरा पर साहित्य  परिवार की अनमोल धरोहर के रूप में सदैव स्मृतियों में रहेगी।

स्वरचित व अप्रकाशित 

बबीता गुप्ता 

Views: 455

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2021 at 11:21pm

सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी को लेकर सार्थक आलेख हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया बबिता जी

Comment by Samar kabeer on August 16, 2021 at 9:09pm

दुरुस्त कर लें ।

Comment by babitagupta on August 16, 2021 at 8:48pm

जी।भूलवश गलती लिख गया

Comment by Samar kabeer on August 16, 2021 at 3:22pm

मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

'बुन्देलें हरबोले के मुंह हमने सुनी  यह कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी की रानी थी'

कविता की ये पंक्तियाँ आपने ग़लत लिखी हैं,इन्हें दुरुस्त कर लें:-

'बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी

ख़ूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service