For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वक्त से आगे चलने वाली....अमृता प्रीतम

पंजाबी साहित्य की प्रथम कवयित्री, निबंधकार, उपन्यासकार, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त, 1919 गुजरांवाला, पंजाब में हुआ था। अपनी रचनाओं में विभिन्न रूपो मे नारी चित्रण करने वाली अमृता प्रीतम के साहित्य संसार की नारी अपनी स्वतंत्रता के प्रति सजग रह्ती हैं। 

सामाजिक परंपराओं के जाल को काटकर अपना अस्तित्व गढ़ती हैं। हिंदी भाषा में सरलता, सौंदर्यता से अंतर्मन की भावनाओं को पहुंचाने में कामयाब रहीं। गद्य-पद में समान रूप से ख्याति प्राप्त बहुमुखी प्रतिभा की धनी अमृता प्रीतम दृढ़ मनोबल, अथक परिश्रम, अनुशासित दिनचर्या थी। भारत-पाक विभाजन पश्चात लाहौर से भारत आकर बसी अमृता प्रीतम के उपन्यास ‘पिंजर’ में विभाजन की त्रासदी, पीड़ा, नरसंहार का चित्रण हुआ है। अपनी शर्तो पर जीने वाली आजाद ख्याल अमृता की लेखनी महिलाओ के खिलाफ हिंसा की प्रतीक हैं। इसे 2003 में फिल्म पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।24 उपन्यास, 15 लघुसंग्रह और 23 कविता संकलन की रचनाधर्मी अमृता जी को उनकी कविता ‘सुनेट’ के लिये साहित्य का सर्वोच्च पुरुस्कार भारतीय ज्ञान पीठ और 1969 में पद्मश्री, 2004 में पद्मभूषण लाइफ टाइम उपलब्धियो के लिये मिला।    


वक्त से आगे चलने वाली अमृता प्रीतम का जिन्दगी जीने का अंदाज निराला था। नारी जगत की वास्तविकता का चित्रण का उनके साहित्य में दृष्टिपात होता हैं। नारी के विविध रूपों ग्रामीण-शहरी, कामगार-गृहणी, परंपरागत-प्रगतिशील, शिक्षित-अशिक्षित, पतिपरायण, तलाकशुदा, वैवाहिक जीवन की कटु पीड़ा को उजागर किया है। अपने दर्द को रचनाओं में उतारने वाली अमृता जी के साहित्य की नारी पितृसत्तात्मक समाज की बेड़ियों से जकड़ी स्त्रियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना।मुखर कलम से नारी स्वतंत्रता और स्वायत्त का बीड़ा उठाया। सामाजिक रूढ़ियों व पुरूषवर्चस्व जीवन मूल्यों की परवाह किए बिना हिम्मत और साहस के साथ अपना अस्तित्व कायम ही नहीं करती बल्कि समाज और परिवार के खिलाफ स्वनिर्णय लेती हैं। अपने अस्तित्व के बल पर परिस्थितियों से समझौता नहीं करती। अपनी संवेदनशील रचनाओं में दोहरी मानसिकता वाले समाज पर तीखा प्रहार किया है। उनके साहित्य में घटनाक्रम की जीवंतता आज भी दिखती हैं।    


विसंगतियों पर कटाक्ष करने वाली चिन्तनशील साहित्यकार ने रचित शब्दों को जिया है। आधी आबादी की पूरक की सिसकियों व चीखों से हुई सीलन और कमरे की दीवारों पर जमी काई को अपनी बेवाक शैली से जीवंत दस्तावेज अपने साहित्य में समेटा है। अन्यायपूर्ण व्यवहार पर बगावत करती उनकी अभिव्यक्ति है कि केवल भौतिक सुख-सुविधाओं से जीवन की संपूर्णता नहीं बल्कि पूरी औरत होने का मतलब- वह औरत जो आर्थिक तौर पर जज्बाती तौर पर और जहनी तौर पर स्वतंत्र हो।आजादी कभी भी छीनी या मांगी नहीं  जाती और ना पहनी जा सकती यह तो वजूद की मिट्टी से उगती हैं। स्त्री शक्ति को इंकार करने वाला अहंकारी पुरूष अवचेतन होकर नकारता रहता हैं। स्त्रियों के प्रति उदासीनता हैं।उनके साहित्य की नारी अपने अधिकारों के प्रति सजग भी हैं और हिम्मत व साहस के साथ लड़ना भी जानती हैं, समाज की सोच पर प्रश्नचिन्ह भी लगाती हैं। पाठको को अभिभूत करती अपनी रचनाओं के संबंध में उनका कहना हैं कि मेरी सारी रचनाएं, क्या कविता, क्या कहानी, क्या उपन्यास, मैं जानती हूँ, नाजायज बच्चों की तरह है। जानती हूँ एक नाजायज बच्चे की किस्मत इनकी किस्मत हैं और इन्हें सारी उम्र अपने साहित्यिक समाज के माथे के बल भुगतना हैं।

स्वरचित व अप्रकाशित 

Views: 341

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on September 10, 2021 at 5:13pm

नमन आदरणीया,  अमृता प्रीतम के साहित्य और  काव्य  का सही चित्रण किया  है, आपने  ! किन्तु उनके जीवन वृत्त  पर  अमिट  छाप  छोड़ने  वाली प्रेरक घटनाओं को कदाचित  आप  छूती तो आलेख  बेहतर  होता,  सु श्री जी  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service