For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा)

2212 -  1222 -  212 -  122

इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा

इक है ये इक रहेगा भारत हमारा प्यारा

हिन्दू हों या कि मुस्लिम सारे हैं भाई-भाई 

होंगे न अब कभी भी तक़्सीम हम दुबारा 

यौम-ए-जम्हूरियत पर ख़ुशियाँ मना रहे हैं 

हासिल शरफ़ जो है ये, ख़ूँ भी बहा हमारा 

अपने शहीदों को तुम हरगिज़ न भूल जाना

यादों को दिल में उनकी रखना जवाँ ख़ुदारा

फ़िरक़ा-परस्ती  दहशत-गर्दी नहीं चलेगी 

दुश्मन हैं अम्न के जो  होंगे न वो गवारा

ज़रख़ेज़ ये ज़मीं है मिट्टी में इसकी सोना

हिन्दोस्ताँ मेरा है आँखों का मेरी तारा

जुर्रत है किसमें बढ़-के छू दे हमारी सरहद

हर चश्म शम्स है और हर ज़र्रा है सितारा 

''मौलिक व अप्रकाशित'' 

(गणतंत्र दिवस 26.01.2021 पर विशेष) 

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 12, 2021 at 7:29pm

जनाब आज़ी 'तमाम' साहिब आदाब, मुहतरम ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर। 

Comment by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 11:45pm

बेहतरीन ग़ज़ल है बधाई हो आ० अमीर जी आदाब

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 9, 2021 at 8:35pm

जनाब मुख्य संपादक महोदय आदाब,  मुहतरम ग़ज़ल को फीचर ब्लॉग में शामिल करने के लिए ख़ाक़सार आपका मशकूर ओ ममनून है। सादर। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 29, 2021 at 10:14pm

जनाब कृष मिश्रा, 'जान' गोरखपुरी साहिब आदाब, मुहतरम आपने अपना क़ीमती वक़्त निकाल कर इस ख़ाक़सार की ग़ज़ल को दिया और हौसला अफ़ज़ाई की इसके लिये मैं आपका मशकूर ओ ममनून हूँ। आपको मेरा लेखन अच्छा लगा और आप न सिर्फ ग़ज़ल तक आए बल्कि अपनी पसन्दगी का इज़हार भी किया, ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 29, 2021 at 6:40pm

अद्भुत, जिंदाबाद जिंदाबाद!! लाज़वाब कौमी तराने की ग़ज़ल,

बार बार लगातार गुनगुनाया, गजब की रवानी लिए हुए है पूरी ग़ज़ल।

इस बेहतरीन, मुकम्मल ग़ज़ल के लिए हृदयगत से बधाई आदरणीय। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
23 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service