For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जे जीवन से खुबे कईलास प्यार ,

जे जीवन से खुबे कईलास प्यार ,
ओकर जीवन बेकार हो गईल ,

ये भरम में त मत रहा इयर ,
की इ जीवन हमर हो गईल ,

चाहे जेतना तू पाउडर लगाला ,
आई बुढ़ापा सूरत बेकार हो गईल ,

कबो माई बाबूजी कबो भाई भौजाई ,
पत्नी आउर बचवान पर मनवा हेराइल ,

जवानी बितावाला तू मस्ती में ईयार ,
लागल जीवन साकार हो गइल ,

जे परभू के चरण में दिनवा बितावल ,
उहो ता भव सागर पर हो गइल ,

अब का पछताई करबा त ईयार ,
सारी उमर जब पार हो गइल ,

कहस गुरु मान बतिया हमार ,
सोचा प्रभु से प्यार हो गइल ,

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 9:11pm
बहुत सुन्दर गीत| ईश भक्ति से बढ़कर कुछ भी नहीं है|
Comment by Raju on April 2, 2010 at 12:51pm
Guru bhaiya raur ee rachna humra ab tak me se sabse badhiya lagal......
Comment by Mahesh Jee on April 1, 2010 at 8:20pm
Guru jee aap ke likhl e rchna hmar dil ke chhu gyil.aap shi kahtani e jvani t shukl pkch ke chand ba je dhire - dhire lupt ho jala. ye jvani pr ka etraye ke ba jb ki malume ba ki budanpa aavhi ke ba t kahe na hmni ke jvani me kuchh achchh kam kyil jav jese dusra ke labh hokhe. Pilhal aap ke e rchna khatir bhute bhut dhnyvad.
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 1, 2010 at 7:23pm
bahut badhiya guru jee,...........
अब का पछताई करबा त ईयार ,
सारी उमर जब पार हो गइल ,
dhanyabaad etna badhiay rachna khatir....
Comment by Team Admin on April 1, 2010 at 7:20pm
bahut badhiay guru jee................
चाहे जेतना तू पाउडर लगाला ,
आई बुढ़ापा सूरत बेकार हो गईल ,
ek baar fer se dhanyabaad..........
Comment by Admin on April 1, 2010 at 5:48pm
गुरु जी, राउर कविता कुछ न कुछ बहुत ही गंभीर बात आ एतना आसानी से कह जाला की हम का बताई, रौआ बिलकुल सही कहत बानी की इ भौतिक जीवन मे कुछ नैखे रखल, असली जीवन त आध्यात्म के ही बा, जे आपन जीवन ख़ाली अपना खातिर जियलस वोकर नाव लेनीहार भी न होला, जबकि जे आपन जीवन दोसरा खातिर बिता देहलस वो अमर हो जाला, बहुत बढ़िया कविता गुरु जी, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service