For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ईद कैसी आई है ! ये ईद कैसी आई है !
ख़ुश बशर कोई नहीं, ये ईद कैसी आई है !

जब नमाज़े - ईद ही, न हो, भला फिर ईद क्या,
मिट गये अरमांँ सभी, ये ईद कैसी आई है!

दे रहा कोरोना कितने, ज़ख़्म हर इन्सान को,
सब घरों में क़ैैद हैं, ये ईद कैसी आई है!

गर ख़ुदा नाराज़ हम से है, तो फिर क्या ईद है,
ख़ौफ़ में हर ज़िन्दगी, ये ईद कैसी आई है!

रंज ओ ग़म तारी है सब पे, सब परीशाँ हाल हैं,
फ़िक्र में रोज़ी की सब, ये ईद कैसी आई है!

बच्चे, बूढ़े, सब जवां भी, देखते हैं हैफ़ से,
बेकसी का हाल है, ये ईद कैसी आई है!

हम गले मिलकर, मुबारकबाद भी न दे सके,
हाल ए दिल सुन न सके, ये ईद कैसी आई है!

अब न बच्चों की धमक वो, अब न है वो शोर ग़ुल,
चहचहाहट भी नहीं ! ये ईद कैसी आई है!

दोस्तों का आना जाना, महफ़िलों का दौर वो,
सब जुदा है इस बरस, ये ईद कैसी आई है!

जैसी भी है, जितनी भी है, ईद तो बस ईद है,
हो ग़रीबों पर करम, ये ईद कैसी आई है!

मुआ़फ़ कर दे या ख़ुदा, हम हैं तिरे मुजरिम बड़े,
बख़्श दे रब ईद है ! ये ईद कैसी आई है!

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 1, 2020 at 8:30am

रूपम जी हैफ़ का मतलब अफ़सोस, दुख, ज़ुल्म है। 

Comment by Samar kabeer on May 26, 2020 at 2:22pm

जनाब अमीरुद्दीन ख़ान 'अमीर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन इसके क़वाफ़ी ग़लत हैं ।

2122 2122 2122 212 पर कही गई इस ग़ज़ल का ये मिसरा:-

'जब नमाज़े - ईद ही, न हो, भला फिर ईद क्या'

बह्र से ख़ारिज हो रहा है,देखियेगा ।

बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 25, 2020 at 7:21pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब ।रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिये हृदय तल से आभार। सादर। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 25, 2020 at 7:18pm

जनाब राम अवध विश्वकर्मा जी, आदाब। रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिये हृदय तल से आभार। सादर। 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 25, 2020 at 6:39pm

आदरणीय भाई अमीरद्दीन जी ईद पर बहुत खूबसूरत रचना हुई है। बहुत मुबारकबाद

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 25, 2020 at 4:02pm

आ. भाई अमीरद्दीन जी, उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 25, 2020 at 2:21pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी 'तुरंत' जी, अहक़र की ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 25, 2020 at 12:35pm

आदरणीय अमीरुद्दीन खा़न "अमीर "  साहेब , आदाब | रचना में ईद के अवसर पर मन की व्यथा शिद्दत से व्यक्त हुई है , बधाई | 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 25, 2020 at 10:35am

आदरणीय भाई योगराज प्रभाकर जी, आदाब। ख़ाक़सार की ग़ज़ल "ईद कैसी आई है" को फीचर ब्लॉग में जगह मरहमत फ़रमाने के लिए आपका तहे-दिल से शुक्रिया। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service