For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होली के इन रंगों में (ग़ज़ल)

बह्र मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी

(बह्र-ए-मीर)
2 2   2 2   2 2   2 2   2 2   2 2   2 2   2

छुपे हैं जाने कितने क़िस्से होली के इन रंगों में
प्यार मुहब्बत यारी रिश्ते होली के इन रंगों में

बच्चों की अठखेली इनमें और दुआएँ पुरखों की
जवाँ दिलों के ख़्वाब मचलते होली के इन रंगों में

नीला सब्ज़ गुलाबी पीला लाल फ़िरोज़ी नारंगी
जीवन के सब रंग झलकते होली के इन रंगों में

सदा मनाते आए होली मिल कर सब हिंदुस्तानी
हैं तहज़ीब के फूल महकते होली के इन रंगों में

भाई भाई हैं आमादा आपस में लड़ मरने पर
क्यूँ हैं अब के ख़ून के छींटे होली के इन रंगों में

ख़ून ख़राबा दंगे दहशत सस्ती सियासत और वबा
मिले हैं कैसे रंग ये भद्दे होली के इन रंगों में

आओ पाक बना दें फिर से 'शाहिद' हम इन रंगों को
सारी शफ़क़त डाल दें मिल के होली के इन रंगों में
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 11, 2020 at 3:37pm

आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम, सादर प्रणाम। आपकी हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्र-गुज़ार हूँ सर।

//इस मिसरे में 'हिन्दोस्तानी' को "हिंदुस्तानी" कर लें।//

जी, बेहतर है सर, मैंने edit कर दिया है।

Comment by Samar kabeer on March 11, 2020 at 7:35am

जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब,होली के संदर्भ में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'सदा मनाते आए होली मिल कर सब हिन्दोस्तानी'

इस मिसरे में 'हिन्दोस्तानी' को 

"हिंदुस्तानी" कर लें ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 10, 2020 at 12:25pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई, आपकी हौसला-अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार, और आपको भी होली की ढेरों शुभकामनाएँ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2020 at 7:59am

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन एवं होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

होली के पावन पर्व की सम्पूर्णता को समेटे सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
21 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
25 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
32 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
32 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. मतला अच्छा…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service