For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थोड़ा आगे आने दो ,
मौक़ा उनको पाने दो ।


देखो, भटके फिरते हैं ,
उनको भी समझाने दो ।


कब तक सहना पाबंदी ,
दौर नया दिखलाने दो ।


सबको राहत मिल जाये ,
मौसम ऐसा आने दो ।


फिक्र करो मत दुनिया की ,
छोड़ो यारो जाने दो ।

.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 889

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on March 9, 2017 at 10:19am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय विजय निकोरे जी ।
Comment by Mohammed Arif on March 9, 2017 at 10:17am
बहत-बहुत शुक्रिया आदरणीय बृजेश कुमार जी ।
Comment by Mohammed Arif on March 9, 2017 at 10:16am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 9, 2017 at 9:23am

आदरणीय  आरिफ भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने , छोटी बहर में अच्छे शेर निकाले हैं । मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।

Comment by Mohammed Arif on March 9, 2017 at 9:02am
आदरणीय सत्य नारायण जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Satyanarayan Singh on March 8, 2017 at 11:12pm

शानदार ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय सादर बधाई 

Comment by vijay nikore on March 8, 2017 at 11:07pm

बहुत ही खूबसूरत गज़ल । हार्दिक बधाई, आदरणीय आरिफ़ जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 8, 2017 at 10:14pm
खूबसूरत सरस ग़ज़ल..हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by Mohammed Arif on March 8, 2017 at 9:50pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय महेन्द्र कुमार जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by Mahendra Kumar on March 8, 2017 at 9:17pm
बहुत ख़ूब आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी। इस उम्दा ग़ज़ल पर ढेर सारी मुबारक़बाद क़ुबूल फरमाएँ। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service