For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल इस्लाह के लिए (2122-2122-2122-212)

मेरी आँखों में नज़र ये ढूँढती क्या चीज़ है
कुछ तो बतला दे कि तेरी खो गई क्या चीज़ है ॥

रात दिन सीने की दीवारों पे ये पटके है सर
ऐ खुदा इस बुत में तूने डाल दी क्या चीज़ है ॥

हिज्र में जिस ने सुनी हों ग़ज़लें तन्हा बैठ कर
उससे जाकर पूछिए ये शायरी क्या चीज़ है ॥

तेरे ख्वाबों से उठा तुझ को न पाया सामने
अब समझ में आ रहा है तिश्नगी क्या चीज़ है ॥

यूँ तो जीने का तजुर्बाहै बहुत हम को मगर
अब तलक समझे नहीं हैं ज़िंदगी क्या चीज़ है ॥

नाम है गुरप्रीत सिंह है शौक लिखने का मुझे
ओ बी ओ पर सीखता हूँ शायरी क्या चीज़ है ॥

.
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 911

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on April 5, 2017 at 3:07pm

आदरणीय गुरप्रीतजी बहुत बढि़या गजल कही आपने

इस पर काफी चर्चा हो चुकी है जिससे निश्चित ही आपको लाभ हाेगा खुशी की बात ये है कि आप गजल कहना सीखने के प्रति ईमानदार है । रात दिन सीने में  ..... ये शेर बहुत अच्‍छा लगा हमें भी इसके लिये अलग से बधाई ।  पाचवें शेर में तज्रिबा पर बात हो ही गई है पढते समय इसके सानी मिसरे में हमें  लगा कि हैं को हम से बदला जाए तो शायद बात और बेहतर हो सकती है ।

अब तलक समझे नहीं हम जिंदगी क्‍या चीज है ।    मकते का माूसम सा हौसला बहुत अच्‍छा लग रहा है । मुबारक बाद हाजिर है ।

Comment by Samar kabeer on April 1, 2017 at 10:46pm
जी,212 ही होगा ।
भाई निलेश जी के कहे मुताबिक़,'पूछियेगा'बहुत उम्दा रहेगा ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on April 1, 2017 at 9:15pm
यह भी ठीक है नीलेश सर जी
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 1, 2017 at 8:33pm

पूछियेगा कर लें...थोडा लोच आ जाएगा 

Comment by Gurpreet Singh jammu on April 1, 2017 at 6:47pm
शुक्रिया आदरणीय समर कबीर जी..'पूछिए ये' की जगह 'पूछ लेना' ही बेहतर रहेगा..
क्या तज्रिबा का वज्न भी 212 ही होगा ??
Comment by Samar kabeer on April 1, 2017 at 6:40pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'उससे जाकर पूछिये ये शाइरी क्या चीज़ है'
इस मिसरे में 'पूछिये ये'कुछ ठीक नहीं लगता इसे यूँ कीजिये तो गेयता बहतर हो जायेगी :-
"उससे जाकर पूछ लेना शाइरी क्या चीज़ है"
बाक़ी जनाब निलेश भाई बता ही चुके हैं ।
हाँ एक बात ये कि 'तजुर्बा'और 'तज़रबा'दोनों ग़लत हैं,सही शब्द है "तज्रिबा" देखियेगा ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 1, 2017 at 5:27pm
आदरणीय गुरप्रीत जी,हारदिक बधाई इस खूबसूरत गजल के लिए।
पटके शब्द बहुवचन है,इसलिए हैं शब्द सही होना चाहिए।सादर
Comment by Mohammed Arif on April 1, 2017 at 2:25pm
आदरणीय गुरप्रीत जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए दीली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on April 1, 2017 at 1:57pm
आदरणीय नीलेश जी

"ख्वाब से जागा तेरे तुझ को न पाया सामने"

अगर ऐसा करूँ तो क्या ठीक रहेगा???
Comment by Gurpreet Singh jammu on April 1, 2017 at 1:39pm
इस कोशिश को पसंद करने के लिए शुक्रिया आदरणीय शिज्जू जी..
जी बिल्कुल आदरणीय नीलेश जी ने मेरी बहुत सी मुश्किलें हल कर दी हैं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service