For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोहतरम जनाब योगराज प्रभाकर साहिब की फ़रमाइश पर कही गई तरही ग़ज़ल नम्बर-2

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन

यहाँ हर सू जिहालत है? नहीं तो
पढ़े लिक्खों की क़ीमत है? नहीं तो

सुख़न पर कोई पाबन्दी नहीं अब
ज़बाँ खोलूँ, इजाज़त है? नहीं तो

भरे दरबार में सच बोलना है
तिरे दिल में ये हिम्मत है? नहीं तो

बदल सकता नहीं फ़रमान तेरा
ये क्या क़ुरआँ की आयत है? नहीं तो

अदक़ अल्फ़ाज़ रख देना ग़ज़ल में
इसी का नाम जिद्दत है? नहीं तो

नहीं दौलत ये मिहनत से कमाई
तो क्या माल-ए-ग़नीमत है? नहीं तो

बुलाया है जिन्हें दावत प उन में
शऊर-ए-आदमीयत है? नहीं तो

मुझे छोड़ो,किसी के वास्ते भी
तुम्हारे दिल में इज़्ज़त है? नहीं तो

बना सकती है जन्नत जो वतन को
यही क्या वो हुकूमत है? नहीं तो

ग़ज़ल यूँ पेश करना भाग जाना
ये ओबीओ की ख़िदमत है?नहीं तो

"समर" पेशा तेरा तक़रीर करना
तुझे शौक़-ए-शहादत है? नहीं तो

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1260

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 7, 2017 at 3:24pm
आदरणीय समर कबीR जी,उम्दा,उम्दा ,उम्दा....सादर नमन लेखनी को!
Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 7, 2017 at 10:15am

वाह वाह अति सुंदर 

भरे दरबार में सच बोलना है
तिरे दिल में ये हिम्मत है? नहीं तो

Comment by Neeraj Neer on May 6, 2017 at 10:46pm

वाह क्या खूब ग़ज़ल हुई है .... 

Comment by नाथ सोनांचली on May 6, 2017 at 8:12pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। एक एक अशआर में आपने बेहद संजीदगी से विभिन्न विषयों को उठाया है जिसे पढ़कर मन बार बार पढ़ने को करता है, । आपकी तरही गजल बेहद उम्दा है, शब्द नही मिल रहे तारीफ के । मेरी बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 4:47pm
जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज'साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 4:46pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 4:44pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
'अदक़'शब्द हो या 'अदक़्क़'दोनों ही सूरतों में मिसरा बह्र में है, और तक़ाबुल-ए-रदीफ़ के बारे में आपने देखा होगा कि मैं आज कल अपनी ग़ज़ल पर नोट लगा देता हूँ,इस बार भूल गया ।
'अदक़'और 'अदक़्क़'के बारे में आप कहेंगे तो विस्तार से बता दूँगा ।
Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 4:37pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 4:33pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 4:31pm
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service