For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छन्न पकैया छन्न पकैया , ऐसे मेरे नाना
रोज़ सवेरे पानी देते , औ देते थे दाना

छन्न पकैया छन्न पकैया , खुश होते थे नाना
उड़ते हुए परिंदे आते , सब चुगने थे दाना

छन्न पकैया छन्न पकैया ,था उनका ये कहना
आपनी तरह परिंदों का भी, खयाल रखना बहना

छन्न पाकैया छन्न पकैया,सबको ये समझाना
पशु पक्षी पेडों पौधों से, प्यार सदा जतलाना

छन्न पकैया छन्न पकैया , जीना चाहें मरना
नाना सदा यही कहते थे ,प्रेम सभी से करना ।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 16, 2017 at 9:33am
Dhanywad aadrniya Pratibha di
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 16, 2017 at 9:33am
Dhanywad aadrniya Satvinder bhaiya
Comment by pratibha pande on May 16, 2017 at 8:48am
नाना जी के माध्यम से अपने पक्षि प्रेम को सुन्दर भाव दिये हैं आपने बधाई आदरणीया कल्पना जी
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 5:48pm
आदरणीय कल्पना दीदी,आपकी छंदों में रूचि और उन पर अभ्यास सही दिशा में जा रहा है,आप लगे रहैं।इस प्रयास के लिए हारदिक बधाई स्वीकारें!
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 15, 2017 at 10:21am
Ji adarniya

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2017 at 9:45am

आदरनीया कल्पना जी , छन्न पकैया छंद रचना की अच्छी कोशिश हुई है , हार्दिक बधाइयाँ । कमियों  पर आ. समर भाई जी कह ही चुके हैं , ध्यान दीजियेगा ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 15, 2017 at 9:09am
बह्र ए कैद के माने आखरी शब्द को दोबाराइस्तेमाल नहीं करनाक्या यही होता है
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 15, 2017 at 6:51am
आदरणीय समर साहब बहुत बहुत धन्यवाद । मैं नहीं समझ पा रही थी कहाँ गलती हो रही है , सादर धन्यवाद सर ।
Comment by Samar kabeer on May 14, 2017 at 10:49pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,सारछन्द का अच्छा प्रयास हुआ है,इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे छन्द में ऐसा करें ;-
'सब चुगते थे दाना'
तीसरे छन्द में 'ख़याल तुम रखना';10 मात्रा ,और तुकान्तता भी सही नहीं है,इसे यूँ कर लें :-
'ख़याल रखना बहना'

चौथे छन्द में :-
'पशु पक्षी पेड़ पौधों ने'-15 मात्रा,'प्यार उनका जाना-11मात्रा, और तुकान्तता भी सही नहीं,इस छन्द को यूँ कर लें:-

'छन्न पकैया छन्न पकैया,सबको ये समझाना
पशु पक्षी पेड़ों पौधों से,प्यार सदा जतलाना'

आख़री छन्द में:-
'कहते थे नाना हमेशा'-15 मात्रा, और तुकान्तता भी सही नहीं,इसे यूँ कर लें:-

'छन्न पकैया छन्न पकैया,जीना चाहे मरना
नाना सदा यही कहते थे,प्रेम सभी से करना'

बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 14, 2017 at 10:01pm
Kya hota hai yeh

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service