For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुकद्दर का घोड़ा 122, 122 22 रदीफ के साथ (ग़ज़ल,छोटी बहर पर एक प्रयास )

122, 122 22 (ग़ज़ल)

जमाया हथौड़ा रब्बा 

कहीं का न छोड़ा रब्बा 

बना काँच का था नाज़ुक 

मुकद्दर का घोड़ा रब्बा 

हवा में उड़ाया उसने 

जतन से था जोड़ा रब्बा

तबाही का आलम उसने 

मेरी और मोड़ा रब्बा  

बेरह्मी से दिल को यूँ 

कई बार तोड़ा रब्बा  

रगों से लहू को मेरे

बराबर निचोड़ा रब्बा

चली थी  कहाँ मैं देखो   

कहाँ ला के छोड़ा रब्बा

मुकद्दर पे ताना कैसे

कसे मन निगोड़ा रब्बा 

लगे ए  'राज' तेरा ये 

कहानी का रोड़ा रब्बा 

******************** 

Views: 1074

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2013 at 11:24pm

एक बहुत गंभीर प्रयास. कोशिश रंग लायेगी .. . इस ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई,आदरणीया.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 7, 2013 at 10:36pm

जनाब सलीम राजा जी से मैं सहमत हूँ , छोटी बहर में ग़ज़ल कहने में अदायगी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, प्रयास अच्छा है , कई शेर अच्छे बन पड़ें है, बधाई तो बनता है :-)

Comment by SALIM RAZA REWA on February 7, 2013 at 10:01pm

CHOTI BAHAR ME ACHHI GAZAL ////PAR HAR SHER PUREE BAT NAHI KAH RAHA //GAZAL KA HAR SHER APNE AAP MEN MUQAMMAL HONA CHAHIE //BANKI KHAYAL ACHHA HAI //

Comment by MAHIMA SHREE on February 7, 2013 at 9:53pm

जमाया हथौड़ा
कहीं का न छोड़ा

बना काँच का था
मुकद्दर का घोड़ा

हवा में उड़ाया
जतन से था जोड़ा

 

आदरणीया राजेश दी ..अच्छी  गज़ल केलिए

बहुत -२ बधाई आपको ..  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 7, 2013 at 9:30pm

छोटी सी बहर में बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आदरणीया राजेश कुमारी जी, बहुत खूब.

जमाया हथौड़ा
कहीं का न छोड़ा.........वक़्त की क्रूरता 

बना काँच का था
मुकद्दर का घोड़ा.............कब पल में तकदीर बदल जाए 

हवा में उड़ाया
जतन से था जोड़ा...........बिलकुल मेहनत का दर्द का एहसास किये बिना..जमा पूंजी उड़ा देना 

तबाही का आलम
मेरी और मोड़ा..............किसी और के किये की सज़ा भुगतना 

बेरह्मी से दिल को
कई बार तोड़ा........................उफ़ 

रगों से लहू को
बराबर निचोड़ा....................बेबसी , दर्द की इन्तेहाँ 

चली थी कहाँ मैं 
कहाँ ला के छोड़ा................सपनों का टूट जाना, 

मुकद्दर पे ताना
कसे मन निगोड़ा................वाह वाह 

यही 'राज' तेरी
कहानी का रोड़ा...........................अरे रोड़ा कहाँ ये तो इतना प्रबल प्रवाह है हर रोड़ा हटा दे ....:)))

हार्दिक दाद कुबूलें इस शानदार ग़ज़ल पर आदरणीय राजेश जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2013 at 8:40pm

प्रिय संदीप आपकी प्रतिक्रिया का तहे दिल  से स्वागत है |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 7, 2013 at 8:31pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
कारीगरी अच्छी है उसके लिए बहुत बहुत बधाई आपको
किन्तु ग़ज़ल के एक अशआर में ही पूरी बात समाप्त हो जाती है
उसकी कहीं न कहीं कमी सी लगी
बाकी गुरुजनों की राय का इंतज़ार होगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
22 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service