For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यहाँ तू नहीं ये कमी तो रहेगी 

उदासी जहन  में जमी तो रहेगी 

 

हटेगी नहीं जब ये कुहरे की चादर 

वहाँ बस्तियों में नमी तो रहेगी 

 

नहीं जब तलक कोई साहिल मिलेगा 

मुहब्बत की कश्ती थमी तो रहेगी 

 

करे जो तू शिरकत जरा इस चमन में 

हवा ये सुगन्धित रमी तो रहेगी 

 

 

भले मौन हो जाए  तेरा नसीबा 

कहीं ना कहीं सरग़मी  तो रहेगी 

 

वफ़ा क्या करोगे मैं सब जानती हूँ 

रगो  में झलक पश्चिमी तो रहेगी 

 

लिखे ना लिखे "राज" तुझ पे ग़ज़ल वो 

फ़कत दीद की  मरहमी तो रहेगी 

 

 

****************************

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2013 at 7:32pm

प्रिय अरुण आपको ग़ज़ल और उसके भाव रुचिकर लगे दिल से शुक्रिया 

Comment by Aarti Sharma on February 3, 2013 at 7:28pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल मैम..बधाई स्वीकारें...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2013 at 7:08pm

सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई आदरणीय राजेश जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 3, 2013 at 5:46pm

वाह आदरणीया वाह सुन्दर भावों से सुसज्जित शानदार ग़ज़ल, सभी के सभी अशआर दिल को छू गए, ढेरों दाद कुबूल करें. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2013 at 11:23am

अरुण निगम जी आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 3, 2013 at 11:20am

वफ़ा क्या करोगे मैं सब जानती हूँ 

रगो  में झलक पश्चिमी तो रहेगी ..................वाह !!!!!!!!!

सही बात कहके मरम छू लिया है

दिखावे की चाहत डमी तो रहेगी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2013 at 11:17am

प्रिय संदीप  आपको ग़ज़ल पसंद आई आपके तीन वाह के जबाब में शुक्रिया ,शुक्रिया शुक्रिया कहती हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2013 at 11:02am

आदरणीय विजय निकोर जी आपको ग़ज़ल उसके भाव पसंद आये तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2013 at 11:00am

आदरणीय सौरभ जी यही तो होती है एक ग़ज़ल पाठक की खूबी जो हर शेर में भाव में प्रवेश कर जाए आप शेर के मर्म तक पहुचे ,दिल की गहराई से  आभारी हूँ ,ये शेर लिखते हुए मैं सोच रही थी की कहीं कोई यह सोच न ले लेकिन इसको लिखते वक़्त मेरे जो भाव हैं वो मैं एक बार स्पष्ट करना चाहती हूँ उसके बाद भी ठीक ना लगे तो आपके परामर्श का अनुसरण करुँगी ,मैंने लिखा --

नहीं जब तलक कोई साहिल मिलेगा 
मुहब्बत की कश्ती थमी तो रहेगी.. -------पहले तो ये मुहब्बत की कश्ती है ,साहिल नहीं मिलेगा तो  बहेगी या भटकेगी करना ठीक नहीं जो चित्र उस वक़्त मेरी आँखों में था वो उस कश्ती के सामान था जो जब तक मल्लाह नहीं आता वो किनारे पर बंधी हुई एक जगह थमी रहती है ,दुसरे नैतिकता मेरे दिमाग में थी की यदि साहिल (उचित )साहिल ना मिला तो कश्ती खुद थमी हुई इन्तजार करेगी  आगे नहीं बढ़ेगी ,उम्मीद करती हूँ की मेरे कहने का तात्पर्य आप समझेंगे 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 3, 2013 at 10:52am

वाह वाह वाह

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीया राजेश कुमारी जी

तहे दिल से ढेरों दाद क़ुबूल कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service