For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब कहाँ वो मर्द साहिब (ग़ज़ल 'राज' )

2122  2122  2122  2122

इन बहारों में भी गुल ये हो गये हैं ज़र्द साहिब 
चढ़ गई वहशत कि इनपर क्यूँ अभी से गर्द साहिब 


जब जहाँ चाहा किसी ने सूँघ कर फिर फेंक डाला 
पूछने वाला न कोई नातवाँ का दर्द साहिब

जो रफू कर  दें किसी औरत के आँचल को नज़र से 
अब कहाँ हैं ऐसी नजरें अब कहाँ वो मर्द साहिब

हो गये पत्थर के जैसे  फ़र्क क्या पड़ता इन्हें कुछ 
हो झुलसता दिन या कोई शब ठिठुरती सर्द साहिब 

क्या बचा है मर्म इसमें  क्या करोगे इसको पढ़कर 
हर्फ़ भी धुँधले हैं जिसके ये वही है फ़र्द साहिब

रहने दो झूटी तसल्ली रहने दो झूटा दिखावा 
कितने देखे जिंदगी ने आपसे हमदर्द साहिब
----मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 785

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2018 at 6:09pm

आद० समर भाई जी आपकी कसौटी पर कसी गई ग़ज़ल पर आपकी दाद का दिल से शुक्रिया आपके मार्गदर्शन से ही यह सब कह पा रही हूँ 

आपका तह-ए-दिल से बेहद शुक्रिया   

Comment by TEJ VEER SINGH on March 2, 2018 at 12:07pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी। बहुत बढ़िया गज़ल।

जो रफू कर  दें किसी औरत के आँचल को नज़र से 
अब कहाँ हैं ऐसी नजरें अब कहाँ वो मर्द साहिब

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on March 2, 2018 at 8:37am
  1. बहुत खूब । 
Comment by Samar kabeer on March 1, 2018 at 11:42pm

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,मुश्किल ज़मीन और मुश्किल क़वाफ़ी के साथ बहतरीन ग़ज़ल कही है आपने,मज़ा आ ग्याया,बहुत ख़ूब वाह, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service