For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कल का छोकरा – ( लघुकथा ) -

 कल का छोकरा – ( लघुकथा ) -

"दद्दू , जय हिन्द"!

फ़िर उसने दद्दू के पैर छू लिये!दद्दू राम सिंह ने अपना चश्मा उतारा ,साफ़ किया,फ़िर पहना!

"कौन है भाई,पहचान नहीं पाये"!

"दद्दू, हम अमर सिंह के बडे बेटे सूरज हैं"!

"ये फ़ौज़ी बर्दी किसकी पहन ली"!

"यह अपनी ही है दद्दू"!

"क्यों मज़ाक करते हो बेटा,फ़ौज़ की बर्दी इतनी आसानी से नहीं मिलती!इस गॉव में अभी तक केवल हम ही हैं ,रिटायर्ड सूबेदार मेजर राम सिंह, जो ये सम्मान पाये हैं"!

"दद्दू,आपको याद है,जब हमने दसवीं पास की थी तो आपके पास आये थे और पूछा था कि दद्दू कोई  रास्ता बताओ एन ॰डी॰ ए॰ के माध्यम से फ़ौज़ में जाने का!आपने कहा था कि तुम्हारे जैसे डेढ पसली के छोरों को भर्ती दफ़्तर के गेट से ही भगा दैंगे!तभी हमने आपके चरण स्पर्श करके कसम खाई थी कि दद्दू अब आपको  फ़ौज़ी बर्दी पहन कर  ही शक्ल दिखायेंगे"!

"हमको तुम्हारी बात पर अभी भी विश्वास नहीं हो रहा,चलो अपना आई॰ डी॰ कार्ड दिखाओ"!

"ये लीजिये दद्दू"!

दद्दू आई॰ डी॰ कार्ड देखते ही खडे हो गये और सैलूट के लिये हाथ उठाने ही वाले थे कि मेजर सूरज प्रताप सिंह ने उनका हाथ रोक लिया!

"दद्दू  आपके ये हाथ हमको आशीर्वाद देने के लिये हैं"!

 मौलिक व अप्रकाशित

Views: 949

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2016 at 11:03am

आदरणीय तेज़वीर सिंहजी, हम सभी आपस में ही सीख रहे है. आपकी सदाशयता के लिए हार्दिक धन्यवाद.

अबतक हुई इस पटल की लगभग दस कामयाब ऑनलाइन लघुकथा गोष्ठियों का हासिल यह ज़रूर हुआ है कि उसके प्रखर संचालक आदरणीय योगराजभाईजी ने ’लघुकथाओं’, ’प्रेरक कथाओं’ और ’बोध कथाओं’ का अंतर स्पष्ट समझा दिया है. इनका अंतर बड़ा बारीक़ हुआ करता है. उसी बारीकी को समझना, फिर पकड़ना और अपनी रचनाओं में बरतना हम जैसे रचनाकारों का काम है. कई बार यह अंतर इतना बारीक हुआ करता है कि अभ्यासी रचनाकार क्या, सामान्य तौर पर सुधीपाठक समझ भी नहीं पाता और ’वाह-वाह’ करता फिरता है. ऐसे में ही आदरणीय योगराज भाईजी जैसे मार्गदर्शकों की आवश्यकता बनती है. उन्हीं से मिली ’सीख’ के आधार पर हम जैसे लोग अपनी प्रतिक्रियाएँ देते हैं. और प्रतिक्रिया दे कर सीखते हैं.

यह साइट कोई ’सोशल साइट’ तो है नहीं कि रचनाओं को बिना बूझे, या बिना उनकी साहित्यिक मीमाम्सा किये पाठक ’वाह-वाह’ करते फिरें. नये पाठकों को भी इस तथ्य से अवगत होना आवश्यक है. 

सादर

Comment by Amit Tripathi Azaad on February 6, 2016 at 10:51am

आदरणीय तेज वीर जी को सदर अभिनन्दन ,कल के छोकरे  के द्वारा दिलाया गया एक रिटायर सैनिक  को सम्मान काबिले तारीफ , 

आपको मेरी तरफ से बहुत बहुत शुभकामनायें |

Comment by TEJ VEER SINGH on February 6, 2016 at 10:41am

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पांडे जी!हम लोग जितना कुछ मन में आता है लिख डालते हैं!लघुकथा है या नहीं है, इसका निर्णय तो आप जैसे गुणी लोग ही कर सकते हैं!आप की प्रतिक्रिया पर अवश्य गहन विचार करेंगे!भविष्य में भी इसी प्रकार मार्ग दर्शन मिलता रहे तो अति कृपा होगी!सादर!पुनः आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2016 at 9:50pm

आदरणीय तेज़वीर जी, आपने ज्सिअ घटना का ज़िक्र किया है वह वाकई प्रेरक है. सुबेदार मेजर राम सिंह की तरह प्रस्तुति के नायक के प्रति पाठक के मन में भी सम्मान का भाव बन जाता है. लेकिन यहीं मुझे यह भी कहना है कि ऐसी घटना में लघुकथा के विन्दु कहाँ हैं ?

आदरणीय, ऐसी घटनाएँ प्रेरक तो हो सकती हैं, लेकिन लघुकथा का अन्योन्याश्रय भाग, नाटकीयता, के न होने से लघुकथा के तौर पर कहीं न कहीं यह प्रस्तुति चूकती हुई-सी प्रतीत होती है. 

बहरहाल, प्रस्तुति हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2016 at 3:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुनील वर्मा  जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2016 at 3:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय पवन जैन  जी!आपका यह अंदाज़ अच्छा लगा!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2016 at 3:28pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2016 at 3:28pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2016 at 1:53pm

बहुत सुंदर आदरणीय तेजवीर सिंह जी   ... संस्कारों को जीती इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई सर। ''दद्दू  आपके ये हाथ हमको आशीर्वाद देने के लिये हैं"!  इस पंच लाईन के भाव को नत मस्तक। 

Comment by Pawan Jain on February 5, 2016 at 12:15pm

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
12 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service