For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ड्रीम गर्ल(लघुकथा )राहिला

उस छोटे से कस्बे में अचानक बेहद सुन्दर युवती का आगमन जहाँ एक ओर नुक्कड़ पर खड़े ठलुओं के बीच हलचल का विषय बन गया वहीं उनके लीडर और सबसे सुदर्शन भंवरे रोहन के लिये चुनौती।अब होड़ इस बात की थी कि उस सुन्दरी से सबसे पहले बात करने का सौभाग्य किसे मिलता है । बहुत जतन के बाद सबके अरमान तब ठंडे हो जाते जब वो उन सब को नजरअंदाज कर गुजर जाती । गुजरते वक्त के साथ उसकी बेनियाजी भले ही किसी को इतनी ना अखरी हो लेकिन रोहन के लिये अ़ना का सवाल बन गई थी। ऐसे में एक दिन उसने मित्र मंडली के बीच धमाका किया, कि आज उसकी बात उस ड्रीम गर्ल से हो गई ।
"क्या बात कर रहे हो..कब?कहाँ?"कुछ आश्चर्य और ईर्ष्या मिश्रित स्वर गूंजे।
"तालाब वाले मंदिर पर आज सुबह।"
"अच्छा बे..!क्या बात हुई?पहल तो तूने ही की होगी हमेशा की तरह।" एक ने आंख दबाते हुये पूछा।
"हम्म..वो तो मैंने ही की थी।लेकिन पहली मुलाकात में इतनी बातें होंगी सोचा नहीं था।जितनी खूबसूरत वो है उतनी ही मीठी आवाज और बोलने के अंदाज का तो क्या कहना।"
"यार तूने तो इस बार भी बाजी मार ली।एक बार हमारी बात भी करा दे।"
"करा देता मगर.."
"मगर क्या? "
"यार वैसे तो सब ठीक है लेकिन जितनी झुईमुई मैं समझ रहा था वो वैसी नहीं।कुछ चालू किस्म की लगी..और बहुत ज्यादा बोलती है । इसलिये कुछ जमी नहीं । "उसने मुंह बिचकाते हुये कहा ।
तभी पीछे पान की दुकान पर पान लगाता बरई मुंह टेड़ा कर पीक थूकते हुये पास खड़े ग्राहक से बोला-
"सुन रहे हो बाबूजी इन लफंगों की बातें एक गूंगी लड़की का ज्यादा बोलना नहीं जमा राजा साहब को हुंह..। "

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1037

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on December 7, 2015 at 10:32am
आदरणीय गिरिराज सर जी!सादर प्रणाम ,ये आपका आशीर्वाद ही है जो मैं कुछ लिख पाई हूं । और हर्ष इस बात का है कि आपको रचना पसंद आई । बहुत आभार । सादर नमन ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 6, 2015 at 7:17pm

आपकी  लघुकथा पढ़कर अंगरेजी की एक  कहानी याद आ गयी ' There were no eyes ' फिलहाल अच्छी प्रस्तुतिके लिए बधाई .

Comment by Shubhranshu Pandey on December 6, 2015 at 4:22pm

आदरणीया राहिला जी, 

एक अप्रत्याशित पंच लाइन ने कथा को पूर्णता प्रदान की है. आपने आस पास के पात्रों को ले कर कथा को वास्तविकता के के नजदीक लाया है, सुन्दर कथा के लिये बधाई. 

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2015 at 4:05pm

क्या बात है , आ. राहिला जी , दिल फेंकू  कर बढिया कटाक्ष किया , पंच लाइन भी बहुत सटीक लगी , हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by Rahila on December 6, 2015 at 2:47pm
बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण सर जी!शायद पहली बार आपकी सराहना की पात्र बनी हू।बहुत शुक्रिया आपका । सादर नमन ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 6, 2015 at 8:33am

इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राहिला जी l

Comment by Rahila on December 5, 2015 at 2:40pm
आदरणीय ओमप्रकाश सर जी !बहुत आभार आपका, आपने रचना को पसंद किया । मेरा लेखन सार्थक हुआ । सादर नमन ।
Comment by Rahila on December 5, 2015 at 2:38pm
बहुत आभार आदरणीया ज्योत्सना दी! आपकी उपस्थिति ही मेरे लेखन को सार्थक बना देती है । सादर नमन ।
Comment by Rahila on December 5, 2015 at 2:36pm
आदरणीय उस्मानी जी! बहुत आभार आपका । आपको रचना पसंद आई । सादर नमन ।
Comment by Rahila on December 5, 2015 at 2:35pm
आदरणीया नीता दी!आपकी सराहना सर आंखों पर । बहुत आभार, सादर नमन ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
9 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service