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ग़ज़ल - इस्लाह के लिए

2122 2122 2122 212

या तो चाहत इश्क़ में थी या खुदा पाने में थी
एक समंदर की सी तमन्ना आँख के दाने में थी

बेगुनाही एक जिद इक़बाल जब तेरी ख़ुशी
और मेरी हर सजा तेरे बिछड़ जाने में थी

होश के इस फैसले से क्या मुझे हासिल हुआ
ज़िन्दगी की हर ख़ुशी छोटे से पैमाने में थी

सांस लेता है ये जाने कौन किसका जिस्म है
ज़िन्दगी तो अपनी तेरे गम के वीराने में थी

ये नहीं हासिल हुआ या वो नहीं मुमकिन हुआ
कशमकश ये हर घडी इस दिल को थर्राने में थी

सुर में रोने का हुनर हमको सीखा देता कोई
दर्द सी ही बेकरारी दर्द को गाने में थी

हौसला गिरने लगा है अब तेरे 'अहसास' का
किस कदर की बेबसी खुद का पता पाने में थी

मौलिक और अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2015 at 6:41pm

आदरणीय एहसास भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , सभी अश आर बढ़िया हुये हैं ! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by मनोज अहसास on July 13, 2015 at 4:51pm
बहुत आभार
आ0 चौहान साहब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 13, 2015 at 3:57pm

आदरणीय मनोज भाई जी, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है 

ग़ज़ल इस्लाह को आई है इसलिए -

या तो चाहत इश्क़ में थी या खुदा पाने में थी
एक समंदर की सी तमन्ना आँख के दाने में थी----> बहुत ही बेहतरीन मतला हुआ है. 'एक' को 'इक' कर दे और  'की सी' में 'सी' हटा दे तो मिसरा बबह्र हो जायेगा 

या तो चाहत इश्क़ में थी या खुदा पाने में थी
इक समंदर की तमन्ना आँख के दाने में थी

बेगुनाही एक जिद इक़बाल जब तेरी ख़ुशी
और मेरी हर सजा तेरे बिछड़ जाने में थी..... बढ़िया 

होश के इस फैसले से क्या मुझे हासिल हुआ
ज़िन्दगी की हर ख़ुशी छोटे से पैमाने में थी...... बहुत ही उम्दा शेर हुआ है 

सांस लेता है ये जाने कौन किसका जिस्म है
ज़िन्दगी तो अपनी तेरे गम के वीराने में थी.......... वाह वाह बहुत खूब 

ये नहीं हासिल हुआ या वो नहीं मुमकिन हुआ
कशमकश ये हर घडी इस दिल को थर्राने में थी......... बहुत खूब 

सुर में रोने का हुनर हमको सीखा देता कोई
दर्द सी ही बेकरारी दर्द को गाने में थी.......... हासिल-ए-ग़ज़ल ..... शानदार शेर 

हौसला गिरने लगा है अब तेरे 'अहसास' का
किस कदर की बेबसी खुद का पता पाने में थी......... बढ़िया मक्ता 

सादर 

Comment by narendrasinh chauhan on July 13, 2015 at 1:55pm

खूब सुन्दर रचना 

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