For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिर्फ देखा है जी भर के …

सिर्फ देखा है जी भर के …

सिर्फ देखा है जी भर के  हमने तुम्हें
इस ख़ता पे  न  इतनी सज़ा दीजिये
ज़िंदगी भर हम ग़ुलामी करेंगे मगर
रुख़ से चिलमन ज़रा ये हटा दीजिये

सिर्फ देखा है जी भर  के हमने तुम्हें
इस ख़ता पे न  इतनी  सज़ा दीजिये

हम फ़कीरों  का  दर कोई होता नहीं
हर दर  पे  फ़कीर  कभी  सोता नहीं
अब  खुदा  आपको  हम बना बैठे हैं
अब पनाह दीजिये या मिटा दीजिये

सिर्फ देखा है जी भर के हमने तुम्हें
इस ख़ता पे न इतनी  सज़ा दीजिये

आप के  प्यार में इस कदर खो गए
जाने  बाहों  में कब आपकी सो गए
होश  हो  न हमें अब सुबह शाम का
अपनी नज़रों से ऐसी पिला दीजिये

सिर्फ देखा है जी भर के हमने तुम्हें
इस ख़ता पे न इतनी  सज़ा दीजिये


नींदों में ख़्वाब थे  ख़्वाब  में  आप थे
हम कहाँ दूर थे  बस  आपके  पास थे
आप ही से  क्यूँ  दूरी न  मिटाई गयी
इस दिल को बस इतना  बता दीजिये

सिर्फ देखा है जी भर के हमने तुम्हें
इस ख़ता पे न इतनी  सज़ा दीजिये

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2015 at 4:07pm

आदरणीया कान्ता रॉय जी रचना पर आपके आत्मीय प्रशंसात्मक उदगारों का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2015 at 4:04pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2015 at 4:04pm

आदरणीयvinaya kumar singh जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2015 at 4:02pm

आदरणीय Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी रचना पर आपके स्नेहासक्त शब्दों का हार्दिक आभार। 

Comment by kanta roy on July 8, 2015 at 4:01pm
नींदों में ख़्वाब थे  ख़्वाब  में  आप थे
हम कहाँ दूर थे  बस  आपके  पास थे
आप ही से  क्यूँ  दूरी न  मिटाई गयी
इस दिल को बस इतना  बता दीजिये ........... वाह !!!! बेहतरीन ... गजब के भाव है...... बधाई आपको आदरणीय सुशील सरना जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 8, 2015 at 2:05pm

आदरणीय सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by विनय कुमार on July 7, 2015 at 11:50pm

बहुत सुन्दर रचना आदरणीय ,// अब  खुदा  आपको  हम बना बैठे हैं अब पनाह दीजिये या मिटा दीजिये// , वाह , बधाई आपको ..

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 7, 2015 at 4:50pm

आदरणीय सुशील सरना जी बहुत सुंदर रचना हुई है .....क्या खूब कहा है ..

आप ही से  क्यूँ  दूरी न  मिटाई गयी 
इस दिल को बस इतना  बता दीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service