| २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ | 
| कामयाबी रंग लाये तब जमाना पास आये | | 
रंज बैरी भूल जाये हाथ थामे रास आये |  | 
| पात ना आये अगर डाली कहीं सूखी हुई हो , | 
फूल डाली पर खिले जैसे नजारा खास आये |  | 
| हार कर मायूस होना ये कहाँ का हौसला है , | 
चाह मंजिल की अगर हो जीत खुद ही पास आये |  | 
| जले गा जब दीप तो होगा उजाला घर नगर में , | 
तोड़ नफ़रत की दिवारें तब पड़ोसी पास आये |  | 
| राह हो आसान तो कोई गुजर जाये खुशी से , | 
खोह घाटी का सफर वर्मा किसे अब रास आये | .  | 
| श्याम नारायण वर्मा | 
| (मौलिक व अप्रकाशित) | 
Comment
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी इस सुन्दर ग़ज़ल पर बधाई आपको ! सादर
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