For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक मुट्ठी गालियाँ...... (मिथिलेश वामनकर)

2122—2122—2122—212

 

रात  भर  संघर्ष  कर  जब  थक  गई ये  आँधियाँ

एक दस्तक दी हवा ने, खुल  गई सब  खिड़कियाँ

 

जो गया ,  जाना उसे  था , कौन  जो  ठहरा  बता

बैठ कर  लिखते   रहोगे  मर्सिया  कब तक मियाँ

 

तीर  बूँदों  के  भला ,  क्या  आपको  आये  मज़ा

भीग  जाने   का  हुनर  तो  जानती  है  छतरियाँ

 

तीरगी  से  क्यूँ   लबालब   है  मरासिम  याखुदा

रौशनी  भी  कैसे   आये   आज  उनके  दरमियाँ

 

ज़ेब  में  है वज्न  कितना ,  ये  जमाना   देखता

फूल कितना खिल गया है, देखती  है  तितलियाँ

 

सौंपकर  अपना खज़ाना  ज़िन्दगी ये क्या किया

इक चिमुट भर दी दुआ फिर एक मुट्ठी गालियाँ

 

ऐ  समन्दर  बोल  तो , ये  है  भला  कैसी  सज़ा

किस तरह  मुमकिन बता बैठे किनारे मछलियाँ

 

-------------------------------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
-------------------------------------------------------------

Views: 1124

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:50pm

आदरणीय  vinaya kumar singh जी  सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:50pm

आदरणीय दिनेश भाई जी इस प्रयास पर आपकी सराहना पाकर मन आनंदित हो गया, आभार हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:49pm

 आदरणीय मोहन बेगोवाल सर, ग़ज़ल पर आपकी सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार, नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:47pm

आदरणीय VIRENDER VEER MEHTA जी सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:45pm

आदरणीय गुमनाम सर जी आपको ग़ज़ल पसंद आई, जानकार आनंद आ गया, आप जैसे ग़ज़लगो से दाद मिल जाती है तो रचना कर्म को बहुत बल मिलता है. हार्दिक आभार, सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:43pm

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी ग़ज़ल पर आपकी सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार, हर अशआर में आपको एक अतुकांत का आनंद आया ये जानकार और भी आनंद आ गया. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:39pm

आदरणीय गिरिराज सर, ग़ज़ल आपको पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ. उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:38pm

आदरणीय विश्व राज जी रचना पर सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:37pm

आदरणीय श्याम नरैन वर्मा जी ग़ज़ल पर सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:35pm

आदरणीय बागी सर, ग़ज़ल पर आपकी  विस्तृत और समीक्षात्मक प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ. आपकी प्रतिक्रिया से सदैव उत्साह मिलता है. नमन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ग़ज़ल — 2122 1122 1122 22/112 लग रहा था जो मवाली वही अफसर निकलामोम जैसा दिखा दिलबर बड़ा पत्थर…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति हेतु। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )
"आदरणीय दिनेश जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया ऋचा यादव जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादगी से जो बयाँ करता था…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया रचना भाटिया जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी गजल का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया रचना भाटिया जी, सादर नमस्कार। आपने उचित प्रश्न पूछा है, जिससे एक सार्थक चर्चा की सम्भावना…"
4 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, सादर नमस्कार! खूबसूरत ग़ज़ल के साथ मुशायरे का आगाज़ करने के लिए आपको हार्दिक बधाई!"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service