For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : वात्सल्य (गणेश जी बागी)

च्ची को मोटरसाइकिल पर बैठा छोड़ कस्टमर दुकान के अंदर आया और बोला,
"भाई साहब जरा बिटिया के लिए टॉफी और बिस्किट देना"
अभी मैं बिस्किट निकालने के लिए मुड़ा ही था कि बाहर धड़ाम की आवाज के साथ मोटरसाइकिल गिर गयी और बच्ची भी। कुछ लोगो ने बच्ची को उठाया और उसके हाथ व पैर में लगी चोटों को देखने लगे । इधर कस्टमर भी दौड़ कर बाहर भागा और जल्दी से मोटरसाईकिल उठाया तथा टूटी हुई हेड लाइट को देखते ही चटाक की आवाज ।
बच्ची के गाल पर उँगलियों की छाप व आँखों में आँसू स्पष्ट दिख रहे थे ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : फेस वैल्यू

Views: 1032

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 10:43am

आदरणीय कृष्ण सिंह जी, लघुकथा आपको पसंद आयी और प्रथम प्रतिक्रिया आप द्वारा प्राप्त हुई इसके लिए बहुत बहुत आभार.

Comment by विनय कुमार on January 21, 2015 at 9:34pm

बहुत बहुत बधाई आदरणीय गणेश जी , कथा अपना सन्देश स्पष्ट करती है..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 21, 2015 at 9:02pm

भौतिकवाद के पीछे दम तोड़ता वात्सल्य ...भाव बहुत अच्छे से लघुकथा में समाविष्ट है बहुत खूब हार्दिक बधाई आपको आ० गणेश जी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 21, 2015 at 8:18pm

अब मैं क्या कहूं सर, आपने सबकुछ कह दिया ....वात्सल्य का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है ...

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 21, 2015 at 8:02pm
अर्थ हर अर्थ पर भारी है,
सुन्दर एवं मार्मिक कथा। बधाई आदरणीय इंजी 0 गणेश जी बागी जी, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 21, 2015 at 7:51pm

आदरणीय इं. गणेश जी “बाग़ी” सर, बहुत ही संवेदनशील लघुकथा है .., वात्सल्य, दम तोड़ रहा है , कारण ..वस्तु ...पैसा ...मजबूरी , मनोविज्ञान ...कम शब्दों में बहुत  कुछ ! सुन्दर रचना , सादर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 21, 2015 at 7:41pm

आदरणीय बागी सर बहुत ही मार्मिक लघुकथा.... भावनाओं पर भौतिकवाद हावी हो रहा है .... कथ्य के मर्म को संप्रेषित करने में सफल लघुकथा .... हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

Comment by Krishnasingh Pela on January 21, 2015 at 7:35pm
लघुकथा मर्मस्पर्शी है । वस्तुओं के आगे प्यार, वात्सल्य जैसी भावनाएँ कैसे दम तोड़ रही हैं, इस बात को कथाकार अभिव्यक्त करने में सफल रहा है । बधाई स्वीकार करें आदरणीय Er.Ganesh Jee 'Bagi' साहब ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
11 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service