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बालपन की मस्तियाँ ....(.नवगीत) सीमा हरि शर्मा

* बालपन की मस्तियाँ *

इंद्रधनुषी रंग उतरे
हैं फलक पर से जमीं
बालपन की मस्तियों में
रंग सारे चुन रहे।

मन लुभाती हैं सदा ही
तोतली सी बोलियाँ
बात बेमतलब भले पर
शब्द मिसरी गोलियाँ
फूल झरते ओंठ से सब
तोल मोलों से परे
बस करें अपने दिलों की
ना किसी की सुन रहे।...बालपन की मस्तियों में

सर्द शामें पैर नंगे
फर्श पर जब दौड़ते
घुमती पीछे तभी माँ
चप्पलों को हाथ ले
चूमती है गाल ढककर
माँ कभी आँचल तले
शीत गरमी हो भले बस
खेल की ही धुन रहे।....बालपन की मस्तियों में

जुगनुओं को कैद करना
छिप-छिपाकर हाथ में
छोड़ देना बंद करके
दीप सारे रात में
है सभी खुशियाँ जहाँ की
रौशनी नन्ही तले
चाह चंदा की नहीं ना
स्वपन सूरज बुन रहे।......बालपन की मस्तियों

सीमा हरि शर्मा 22.11.2014 (मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by seemahari sharma on December 4, 2014 at 10:53am
आभार आ.shardindu mukerji जी रचना को आपका आशीर्वाद मिला सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on December 4, 2014 at 2:15am

इस नवगीत की पंक्तियों में एक मादकता है जो हमें झूमने को मजबूर करती है.

Comment by seemahari sharma on November 27, 2014 at 12:12pm
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी अभिभूत हूँ आपकी प्रतिक्रिया से आपकी प्रशंशा से रचनाधर्मिता को प्रोत्साहन मिला है आपसे सदैव ही मार्गदर्शन की आशा करती हूँ आशीर्वाद बनाएं रखें सादर

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 11:33am

//जुगनुओं को कैद करना
छिप-छिपाकर हाथ में
छोड़ देना बंद करके
दीप सारे रात में//

वाह वाह !! बालपन की मस्तियों को क्या ही सुन्दर शब्दों में ढाला है इस नवगीत के माध्यम से आ० सीमा हरि शर्मा जी। हार्दिक बधाई प्रेषित है।

Comment by seemahari sharma on November 24, 2014 at 10:43pm
आदरणीय Vijay Nikore जी बहुत बहुत आभार आपने रचना को समय दिया आपकी प्रशंसा से निश्चय ही प्रोत्साहन मिला है आशीर्वाद बनाएं रखें सादर।
Comment by vijay nikore on November 24, 2014 at 9:08am

अति सुन्दर नवगीत के लिए बधाई।

Comment by seemahari sharma on November 23, 2014 at 6:48pm
आदरणीय Vijay Prakash Sharma जी बहुत बहुत आभार आपने रचना को सराहा सादर
Comment by seemahari sharma on November 23, 2014 at 6:46pm
आदरणीय Er Ganesh jee 'Bagi' ह्रदय से आभार आपने गीत को सराहा रचनाकर्म सार्थक रहा आपकी प्रतिक्रिया से बहुत प्रोत्साहन मिला सादर

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2014 at 5:02pm

क्या बात है आदरणीया सीमाहरी जी, बहुत ही सुंदर नवगीत प्रस्तुत हुआ है, बहुत बहुत बधाई .

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on November 22, 2014 at 8:10pm

बहुत सुन्दर रचना है - सीमा जी बधाई

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