For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ..तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया

गागा लगा लगा /लल /गागा लगा लगा 

तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया,
चलने से राह-ए-कुफ़्र पे इनकार कर दिया.
.

मै ज़ीस्त के सफर में गलत मोड़ जब मुड़ा,
मेरी ख़ुदी ने मुझको ख़बरदार कर दिया.
.

इज़हार-ए-इश्क़ में वो नज़ाकत नहीं रही,                      
क्या दिल की धडकनों को भी अखबार कर दिया??
.
हम आदमी थे काम के ग़ालिब तेरी तरह,   
लेकिन हमें भी इश्क़ ने बेकार कर दिया.
.
सुन ऐ हकीम अब तू दवा मैक़दे की दे, 
तेरी दवाइयों ने तो बीमार कर दिया.
.

फिर आज उनकी तल्ख़ बयानी हुई है तेज़,
फिर आज मैंने मिलने से इनकार कर दिया.
.
बरसा ख़ुदा का
नूर तो रौशन हुई ग़ज़ल,
जुगनू बना के मुझ को चमकदार कर दिया. 
.
निलेश "नूर"

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1461

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 5:40pm

नीलेश भाई

मुझे बहुत मजा आया i क्या उम्दा शेर कहें है आपने i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 26, 2014 at 5:12pm

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है किसी एक शेर की क्या बात करूँ बस आप ढेरों दाद कबूलिये. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2014 at 2:49pm

सही बात, आदरणीय.

यही अंतर शोएब अख्तर नहीं समझ पाये थे..  अपने तेन्दल्या और वीरू ने थर्डमैन के ऊपर से छक्कों की झड़ी लगा दी थी. .. 

हा हा हा हा...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 26, 2014 at 2:34pm

सचिन तेंदुलकर upper cut मारते हुए चौका निकाल ले कोई बात नहीं .. नए खिलाड़ी को बचना चाहिए ऐसे शॉट्स से ..
न जाने कब स्लिप्स में धरा जाए :p 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2014 at 2:29pm

व्यक्तिगत तौर पर मैं इसे ऐब ही मानता हूँ. शायद आपने भी मेरी किसी ग़ज़ल प्रस्तुति में इस ऐब को नहीं देखा होगा.

सही भी है न, आदरणीय, जानबूझ कर ज़िन्दा मक्खी कौन निगले.. :-)))

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 26, 2014 at 2:24pm

शुक्रिया आ. सौरभ सर ...उत्साह वर्धन के लिए ...
मेरा मानना है कि भाव बदले बिना यदि तकाबुले रदीफ़ के दोष से मुक्ति पाई जा सके तो पा लेनी  चाहिए ...
वरना दुनिया में क्या नहीं होता (मोमिन)
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 26, 2014 at 2:24pm

बहुत बहुत आभार आ. नरेन्द्र सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2014 at 2:07pm

आदरणीय नीलेशभाईजी,

मतले केबाद वाले यानि पहले शेर में तकाबुले रदीफ़ का होना मैंने देखा था. लेकिन कई बार इसे इग्नोर करने लगा हूँ. कारण कई हैं. इनमें से एक महत्त्वपूर्ण कारण अधिकांश बड़े शायरों द्वारा इस ऐब को अधिक महत्व न दिय जाना भी है, जबतक कि तकाबुले रदीफ़ की सूरत एकदम से रदीफ़ का भ्रम न देने लगे. 

वैसे, उक्त शेर में आप स्वयं ही इस ऐब के होने की बात को स्वीकार कर रहे हैं और तदनुरूप सुधार का प्रयास कर रहे हैं, तो आप अपने प्रयास को बहुत ऊँचाई दे रहे हैं.  नव-हस्ताक्षरों के लिए यह एक नज़ीर होनी चाहिये.

सादर धन्यवाद आदरणीय.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 26, 2014 at 1:02pm

दुसरे शेर में तकाबुले रदीफ़ है ...उसे वैसे ही स्वीकार करने का मन भी बन गया था ..लेकिन थोडा सोचने पर इस शेर को नए तरीके से कहने में सफल हुआ हूँ ..अब इस शेर को यूँ पढ़ा जाए प्लीज ..
.

जब जब क़दम बढे है ग़लत राह की तरफ,
मेरी ख़ुदी ने मुझको ख़बरदार कर दिया.
शुक्रिया 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 26, 2014 at 9:24am

शुक्रिया डॉ गोपाल कृष्ण भट्ट "आकुल" जी ...आपकी दाद से हिम्मत बढ़ी है 
शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service