For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है ताब मुझे / एक ताज़ा तरही गज़ल

2122 1212 112
इश्क में जायेगी ये जान भी क्या
सब्र तोड़ेगा इम्तेहान भी क्या
.
ठोकरें हमको कर गयीं हैरां
आपने बदली है जबान भी क्या
.

गिर के नज़रों में कोई तुम ही कहो
जीत पायेगा ये जहाँन भी क्या
.
चाँद देखा था रात सहमा सा
'इस जमीं पर है आसमान भी क्या'
.
काट दे पर मेरे है ताब मुझे
रोक पायेगा तू उड़ान भी क्या
.
फिर मुझे प्यार पर यकीन हुआ
नर्म दिल में तेरा निशान भी क्या
.
एक जुम्बिश हुयी है दिल में कहीं
ज़िक्र में आई मेरी जान भी क्या
.
मौलिक/ अप्रकाशित

संशोधित

Views: 1070

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 15, 2014 at 8:57am

एक बात कहना मिस कर गया. नज़र और नज़्र में फ़र्क़ होता है. आपने जहाँ नज़्र कहा है वो वस्तुतः नज़र होने की अपेक्षा करता है.

देख लीजियेगा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 15, 2014 at 7:58am

आदरणीय गीतिका जी बहुत दिनों बाद आपकी नई रचना पढ़ने को मिली है बहुत बहुत अच्छी रवां ग़ज़ल है दिली दाद कुबूल करें।
बस तीसरे शेर को फिर से देख लें नज़्र और नज़र दो अलग अलग शब्द हैं

Comment by वेदिका on June 15, 2014 at 12:05am

आपकी प्रतिक्रिया आत्मविश्वास वर्धक हुयी है

आपकी शुभकामनायें सरमाथे आ० अभिनव जी!

Comment by वेदिका on June 15, 2014 at 12:01am

रचना के भाव आपकी प्रतिक्रिया  से सार्थक हुये

आपका हार्दिक आभार आ० गोपाल जी!

Comment by Abhinav Arun on June 14, 2014 at 3:08pm
इश्क में जायेगी ये जान भी क्या
सब्र तोड़ेगा इम्तेहान भी क्या
------एक जुम्बिश हुयी है दिल में कहीं
ज़िक्र में आई मेरी जान भी क्या..........लाजवाब ..आगाज़ से आखिर तक हर शेर बेहतरीन गीतिका जी ..बहुत बधाई बहुत शुभकामनायें !!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 14, 2014 at 1:05pm

वेदिका जी

भावो के सर्वथा नवीन अधिकरण पर अवलंबित आपकी गजल अतीव सुन्दर है i  आपको बधाई i

Comment by वेदिका on June 13, 2014 at 6:03pm

आभार आ० सौरभ जी!
पर्याप्त समय और साधन जुटा कर अवश्य मेव उपस्थित होउगी। आप ने मनोबल ब ना ये रखा, शुक्रिया आपका
सादर गीतिका वेदिका

Comment by वेदिका on June 13, 2014 at 5:56pm

आपका आभार आ० प्राची दीदी!

अवश्य ही मै गजल को निर्दोश बनाने का प्रयास करुगी। क्रप्या मुझे तकाबुले रदीफ़ का ऐब के बारे मे और भी जानकारी दीजिये।
सादर गीतिका 'वेदिका


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2014 at 1:17am

एक अरसे बाद आपको पुनः सक्रिय देखना भला लगा..  प्लीज कीप इट अप, आदरणीया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 30, 2014 at 6:41pm

खूबसूरत ग़ज़ल प्रस्तुत की है प्रिय गीतिका जी 

हार्दिक बधाई 

चौथे व छठे शेर में तकाबुले रदीफ़ का ऐब बन रहा है ..गौर करें 

सस्नेह 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Oct 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service